जानिए महाशिवरात्रि के वो रहस्य जिनसे विज्ञान भी हैरान है
जानकर आप भी रह जाएंगे अचंभित
वास्तव में महाशिवरात्रि एक ऐसा वैज्ञानिक उत्सव है, जिसके बारे में जानकर दुनिया हैरान रह जाती है। दरअसल, महाशिवरात्रि मात्र पौराणिक ही नहीं बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार भी है। हम आपको बताएंगे महाशिवरात्रि से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य बताएंगे जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे। वो रहस्य जिसे जान आधुनिक विज्ञान भी है हैरान…
आमतौर पर कहा जाता है कि महाशिवरात्रि वो दिन है जब शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। आम जनता इसे इसी रूप में मनाती है। दरअसल, साल में क़रीब 12 शिवरात्रि पड़ती हैं। यह हर महीने अमावस्या से ठीक एक दिन पहले की रात होती है। महीने का ये वो समय होता है जब रात सबसे अंधेरी होती है। लेकिन फाल्गुन महीने में अमावस्या से ठीक पहले यानी चौदहवीं तारीख (चतुर्दशी) की रात को महाशिवरात्रि कहा जाता है। लेकिन सच सिर्फ़ इतना ही नहीं है। इस कथा के अंदर ही छिपा हुआ है शिव का वो रहस्य जिसे हम बताने जा रहे हैं। महाशिवरात्रि के दिन सोने से मना किया जाता है और रात भर लोग जागरण करते हैं। लेकिन ऐसा क्यों कहा जाता है इस बारे में शायद आपको जानकारी नहीं होगी। हम आपको महाशिवरात्रि से जुड़े कुछ ऐसे ही रहस्य बताने जा रहे हैं जिन्हें जानकर दुनिया हैरान रह गयी है।
जानिए महाशिवरात्रि के वो रहस्य जिनसे विज्ञान भी हैरान है
महाशिवरात्रि, यानि वह रात जब सूरज धरती की भूमध्य रेखा या विषुवत रेखा की सीध में होता है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में इसे विषुव कहा गया है। यह वो तारीख होती है जब पूरी धरती पर रात और दिन बराबर होते हैं। इस खगोलीय अवस्था में अपनी धुरी पर चक्कर काट रही धरती के कारण जो ऊर्जा पैदा होती है वो नीचे की तरफ से ऊपर की ओर बढ़ती है। विज्ञान की भाषा में इसे अपकेंद्रीय बल या कहा जाता है। हमारा शरीर भी इस ब्रह्मांड और धरती का ही हिस्सा है। इसलिए अगर इस दिन हम अपने शरीर को सीधा रखें जैसे कि योग की मुद्रा में बैठे या खड़े रहें तो हमें शिव की ऊर्जा मिलती है। यही कारण है कि महाशिवरात्रि के दिन सोने से मना किया जाता है और रात भर लोग जागरण करते हैं।
ऐसा करने के पीछे जो मंशा है वो यह कि व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी झुकी हुई नहीं, बल्कि सीधी होनी चाहिए ताकि वो ऊर्जा के इस प्रवाह का पूरा लाभ उठा सके। ऊर्जा के इस प्रवाह के कारण ही महाशिवरात्रि को जागृति अथवा चेतना की रात भी कहा जाता है। ब्रह्मांड से जुड़ा यह विज्ञान भारतीयों को हजारों साल से पता था और वो इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाते थे। आधुनिक विज्ञान के लिए यह ज्ञान महज कुछ सौ साल ही पुराना है।
वास्तव में महाशिवरात्रि एक खगोलीय अवसर है जब हम ब्रह्मांडीय ऊर्जा का अपने शरीर और जीवन में संचार कर सकते हैं। लेकिन आम लोगों की समझ के लिए इसे कुछ धार्मिक परंपराओं और कथा कहानियों के साथ भी जोड़ा गया है। ये कहानियाँ भी किसी न किसी सत्य की तरफ़ इशारा कर रही होती हैं। उदाहरण के तौर पर कहा जाता है कि इसी दिन सृष्टि की रचना का काम शुरू हुआ था। पुराणों के अनुसार इस दिन अग्निलिंग का उदय हुआ था जो आगे चलकर सृष्टि की उत्पत्ति का कारण बना। इसी अग्निलिंग के सिद्धांत को आधुनिक विज्ञान में बिग बैंग जैसे नामों से पुकारा जाता है। महाशिवरात्रि का संबंध समुद्र मंथन की कथा से भी है। ये वो दिन है जब समुद्र से विष निकला था और भगवान शिव ने विष का पान करके सृष्टि को बचाया था।