शिक्षा के उन्नायक और दूरदर्शी थे स्व० बृज मंगल राय जी-डा० आनन्द शंकर
गाजीपुर जनपद के खरडीहा महाविद्यालय, खरडीहा,और श्री सर्वोदय इण्टर कॉलेज, खरडीहा, ग़ाज़ीपर के संस्थापक स्व० बृज मंगल राय के पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम ‘निःशब्द’ में अपने स्मृतियों के पन्नों को पलटते मुख्य वक्ता पूर्व सचिव, भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के डा० आनन्द शंकर ने कहा कि बाबा /बृज मंगल राय शिक्षा के सही मायने में उन्नायक और दूरदर्शी थे आज पूरी दुनिया यह मानती वही उसी राष्ट्र की जी० डी०पी०बेहतर हो सकती है जिस राष्ट्र ने शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति किया।
स्व०राय ने इसकी खुद बहुत शिक्षित होने के बावजूद इस सत्यता को भाप लिया और इसको मूर्त देने की परिकल्पना स्वतन्त्रता के तुरंत बाद 1951 में श्री सर्वोदय इंटर कॉलेज और 1972 में खरडीहा महाविद्यालय की स्थापना स्वयं के संसाधन व समर्पण से करके शिक्षा ही व्यक्ति के विकास का नियमक है का बिगुल फूंका।उन्होंने यहाँ तक कहा कि आज जो मैं हूँ वह उनकी दूरदर्शिता द्वारा ही गढ़ा गया हूँ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व प्रशासनिक अधिकारी लाल जी राय ने दीप प्रज्वलन किया और उपस्थित सभी अतिथियों के साथ महाविद्यालय के 50 वी स्वर्ण जयंती वर्ष के लोगो व महाविद्यालय में 2022 के आयोजित होने वाले अकादमिक आयोजन के प्लानर को जारी किया ।आप ने अपने सम्बोधन में कहा कि स्व० श्री राय एक विराट व्यक्तित्व के प्रतिमूर्ति थे वे क्या नही है यही मै ‘निःशब्द’हूँ।इसलिये इस कार्यक्रम का वाक्य निःशब्द सही प्रतीत होता है।विशष्ट वक्त द्वय शेषनाथ और रामबदन राय ने कहा कि उनकी कर्तव्यपरायणता तथा समर्पण के विम्ब पर इनकी रचित दोनो संस्थान अपने उद्देश्य पूरा कर रही है लेकिन यह काफी नही है उनके विजन में नवाचार भी शामिल था जिसे इन संस्थानों को अभी पूरा करना है।
सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो० विजेन्द्र सिंह ने कहा कि मेरे लिए यह गौरव का विषय है कि स्व० राय के शिक्षा के उद्देश्य तथा विजन का ध्वजवाहक बनने का अवसर मिला है,उन्होंने उपस्थित सभी से संस्थापक जी के मिशन को पूरा करने हेतु सहयोग मांगा।संस्थान द्वय के प्रबंधक डा० शशिकांत राय और डा० कृष्ण कांत राय ने उनके स्मृतियों के बृहद जीवन कैनवास को उकेरते हुये कहा कि वे साधन शक्ति सम्पन्न होने के बावजूद सात्विक जीवन शैली को जीवनपर्यंत स्वीकार किया। सशक्त राजनीति हस्तक्षेप के बावजूद अहंकार से दूर रहे यह उनकी आध्यात्मिकता का परिचायक है।आज उन्हें नमन करते हुये हम निःशब्द है।कार्यक्रम में बहुत से सुधीजन ने अपने स्मृतियों के पन्ने खोले जिसमे सभी ने कहा उनके व्यक्तित्व के व्याख्या के लिए शब्द नही है वे इन शब्दों से ऊपर है उन्हें केवल भाव से महसूस किया जा सकता है।
कार्यक्रम का आरम्भ महाविद्यालय में स्थापित उनके आदमकद प्रतिमा पर पूजन व पुष्पांजलि अर्पित करके तथा उनकी स्मृति में मुख्य अतिथि द्वारा वृक्षारोपण करके किया गया।जिसमें शिक्षाविद, समाजसेवी, विभिन्न क्षेत्रों के संगठनकर्ता, प्रशासनिक अधिकारी व छात्र समुदाय ने प्रतिभाग किया।जिसमें डा० राम बदन राय, श्री शेष नाथ जी, अनिल राय, अरविंद किशोर राय, डा० रेनू राय, राकेश सिंह,डॉ विनीत शुक्ला, सुशील सिंह यादव,डॉ सेतबन्धु प्रसाद,अजय राय,अनन्त शंकर प्रधान,अजय राय, आमोद सिह भगवती राय, वीरेन्द्र राय,राधा रमण राय,मेहदी हसन,मनोहर यादव,अशोक यादव,रूपेश राय, डॉ0 अवनीश कुमार राय,डॉ0 रत्न प्रकाश द्विवेदी, डॉ0 के0 पी0 सिंह,दीपक कुमार, के साथ अन्य गणमान्य और दोनों संस्था के शिक्षक ,कर्मचारी,पूर्व सेवानिवृत्त सभी शिक्षक व कर्मचारी उपस्थित रह कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया ।कार्यक्रम का संचालन डॉ कुँवर भानु प्रताप सिंह ने किया और डॉ0 आनन्द कुमार त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।