June 19, 2025

गाजीपुर जनपद की सदर विधानसभा सीट जहां पर कोई भी विधायक लगातार 2 बार नहीं बन पाया है विधायक

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गाजीपुर जनपद की सदर विधानसभा सीट जहां पर कोई भी विधायक लगातार 2 बार नहीं बन पाया है विधायक

जनपद गाजीपुर का सदर विधानसभा क्षेत्र जहां पर गंगा नदी के साथ ही गांगी नदी भी बहती है। इसी सदर विधानसभा क्षेत्र में एशिया का सबसे बड़ा अफीम का कारखाना आज भी अपने निरंतर गति से चल रहा है। इसी विधानसभा के करंडा में कण्व ऋषि का आश्रम भी विराजमान है जहां पर कभी शकुंतला के पुत्र भरत पैदा हुए तो इसी विधानसभा में पवहारी बाबा का आश्रम ,गंगा दास बाबा का भी आश्रम होने के चलते यह धरती पौराणिक महत्व से भरी पड़ी है। लेकिन चुनाव की दृष्टि से बात करें तो सदर विधानसभा सीट का एक ऐसा इतिहास है जिसे मिटाने का प्रयास तो हर राजनीतिक दल के प्रत्याशी करते हैं। लेकिन वह मिट नहीं पाता है कारण कि सदर विधानसभा सीट से अभी तक कोई भी विधायक दुबारा विधायक नहीं बन पाया है ।यानी कि अधिकतर लोगों की या तो प्रत्याशी बदल दिया जाता है या फिर उनका टिकट कट जाता है।जिसके कई उदाहरण भरे पड़े हैं।

सदर विधानसभा का सीट हमेशा से सभी राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का सीट बना रहता है। लेकिन जनपद के इस प्रतिष्ठा वाले विधानसभा सीट पर अगर हम आंकड़ों की बात करें तो सभी राजनीतिक दल अपने-अपने प्रत्याशियों के जीत को सुनिश्चित कराना तो चाहते हैं। लेकिन जो इस सीट का इतिहास रहा है उसे कोई भी बदल पाने में सक्षम नहीं हो पाया है । ऐसे में मौजूदा समय में भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में यह सीट है। लेकिन हम पुराने इतिहास को देखें तो इस सीट पर भाजपा के लोग भी अपने प्रत्याशी को दोबारा जीत नहीं दिला सके हैं। इसके पूर्व की बात करें तो 1991 में भारतीय जनता पार्टी के उदय प्रताप सिंह विधायक बने लेकिन वह भी दोबारा इस सीट के लिए रिपीट नहीं कर पाए।

इसी क्रम में 1985 कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने अमिताभ अनिल दुबे ने बताया कि 1989 में उपचुनाव हुआ था। जिसमें उन्हें हार मिला । वहीं 1991 के चुनाव में उनकी जगह उमा दुबे को प्रत्याशी बना दिया गया था। उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने भी इस बात की तस्दीक किया सदर विधानसभा जब से अस्तित्व में आया है तब से लेकर अब तक कोई भी विधायक दुबारा विधायक नहीं बन पाया है।

 

गाजीपुर की सदर विधानसभा सीट पर 1974 में शाह अबुल फ़ैज़ बीकेडी, 1977 में मोहम्मद खलीलुल्लाह कुरैशी JNP, 1980 में रामनारायण JNP, 1985 अमिताभ अनिल दुबे कांग्रेस, 1989 खुर्शीद अहमद आईएमडी, 1991 उदय प्रताप सिंह भाजपा ,1996 राजेंद्र यादव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ,2002 उमाशंकर कुशवाहा बसपा, 2007 शादाब फातिमा समाजवादी पार्टी, 2012 विजय कुमार मिश्रा समाजवादी पार्टी और 2017 डॉ संगीता बलवंत भाजपा से विधायक बनी और मौजूदा समय में योगी सरकार ने सहकारिता राज्य मंत्री हैं।

2002 की बात करें तो तत्कालीन विधायक राजेंद्र यादव जो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से रहे उन्हें इस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा । वही 2007 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा तक पहुंची शादाब फातिमा 2012 के चुनाव में अपना विधानसभा बदलकर जहुराबाद पहुंच गई। इसके अलावा 2012 के चुनाव में चुनाव जीते विजय कुमार मिश्र जो समाजवादी पार्टी सरकार में वैकल्पिक ऊर्जा मंत्री और धर्मार्थ कार्य मंत्री भी रहे लेकिन 2017 के चुनाव में उनका टिकट कट गया। जिसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी को छोड़कर बसपा की सदस्यता ले लिया।

ऐसे में लोगों की चर्चाओं की बात माने तो इसी इतिहास को देखते हुए लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। कुछ तो भाजपा के विधायक और मंत्री डॉ संगीता बलवंत की विधानसभा सीट चेंज होने की बात कर रहे हैं। तो वही डॉ संगीता बलवंत इसे पार्टी स्तर से जो भी फैसला हो उसे स्वीकार करने की भी बात कर रही है। सवाल उठ रहा है जब सदर विधानसभा सीट के चुनाव में इतने सारे लोगों ने इतिहास को नहीं बदल पाया। तो क्या डॉ संगीता बलवंत को सदर विधानसभा सीट से एक बार फिर से भाजपा की प्रत्याशी बनाए जाने पर क्या वह इतिहास को तोड़ फिर से भाजपा का कमल खिला पाएंगी। यह लोगों के लिए उत्सुकता का विषय बना हुआ है।

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