कश्यप गोत्रिय किनवार भूमिहार ब्राह्मण वंश का एक स्वर्णीम इतिहास है

कश्यप गोत्रिय किनवार भूमिहार ब्राह्मण वंश का एक स्वर्णीम इतिहास है
कश्यप किनवार भूमिहार ब्राह्मण वंश का अपने आप में एक स्वर्णीम इतिहास है। कश्यप गोत्रिय जिनके पूर्वज अमोघ दीक्षित का जन्म पदुमपुर कर्नाटक राज्य में हुआ था। कश्यप गोत्रिय भूमिहार ब्राह्मण कन्नौज के कान्यकुब्जीय दीक्षित ब्राह्मण है जिनका उल्लेख पुस्तकों में मिलता हे। अमोघ दीक्षित के पुत्र त्रिलोचन दीक्षित के जन्म के उपरान्त सम्पूर्ण सर्वांगिण विकास पदुमपुर कर्नाटक में होने के बाद इन्होने कर्नाटक राज्य से उत्तर भारत जाने की इच्छा व्यक्त की। तदोपरांत बिंध्य एवं सतपूणा के रास्ते पहुंचकर अपने परिवार के श्री सोइर दीक्षित एवं श्री सीरी दीक्षित से मिल कर सलाह मसवरा कर इसी सहरमाहडीह को गाजीपुर जनपद के भांवरकोल व्लाक में स्थित है को वर्ष 1090 ई. में अपना निवास बनाया। इसी सहरमाहडीह पर त्रिलोचन दीक्षित को चार पुत्र मुनी दीक्षित, मुन्हन दीक्षित, सुहेनी दीक्षित, मुहानी दीक्षित पैदा हुए। बाद में प्रथम पुत्र मुनी दीक्षित ने अपना निवास बलिया के सिरसा को बनाया था जो आज बलिया में इनके वंशज नगवा पांडेय के रुप में जाने जाते हैं। तृतीय पुत्र सुहेनी दीक्षित ने अपना निवास आजमगढ़ के सगडी तहसील के विभिन्न गांवों में वेरुवार तिवारी के रुप में आबाद हैं। चौथे पुत्र मोहनी दीक्षित ने बलिया जनपद के नोनहुल को अपना निवास बनाया जो नोनहुलिया के नाम से जाने जाते हैं। इसी क्रम में त्रिलोचन दीक्षित के द्वितीय पुत्र मुन्हन दीक्षित जो सहरमाहडीह पर ही रह गये। इनकी प्रथम पत्नी जो ब्राह्मणी थी के दो पुत्र बैजल दीक्षित एवं महिपाल दीक्षित हुए। बाद में कन्नौज के राजा ने अपनी लड़की की शादी मुल्हन दीक्षित से करके इन्हे सात सौ गांव देकर इनको राजा की उपाधि दी। मुल्हन दीक्षित ने अपने जीवन काल में ही अपने दोनों पत्नियों के पुत्रों में सात सौ गांवों का बटवारा आधा-आधा के रुप में कर दिया था। पहली पत्नी से जन्मे बैजल दीक्षित महिपाल दीक्षित इसी सहरमाहडीह पर रह गये एवं दूसरी पत्नी के पुत्र बलिया जिले के सहतवार छाता इत्यादि गांवों में जाकर बसे किनवार क्षत्रिय लोग हैं। इसी प्रकार प्रथम पत्नी के द्वितीय पुत्र महिपाल दीक्षित के वंशज बेलसडी, रेवसड़ा, अर्जुनपुर आदि गांव में बसे हैं। प्रथम पुत्र बैजल दीक्षित के पुत्र हेम दीक्षित के तीन पुत्र इसी सहरमाहडीह पर पैदा हुए। जिनमे भुअर दीक्षित, गाधू दीक्षित, धूरन दीक्षित है। भुवर दीक्षित के वंशज बीरपुर शाखा के बीरपुर, पलिया, लोहरपुर, महेंद, वारे इत्यादि कुल ज्ञात लगभग 42 गांवों में आबाद है। इसी प्रकार दूसरे पुत्र गाधू दीक्षित के पुत्र नैनन शर्मा के दो पुत्रों मृतक शाह, झम्मन शाह जो इलाके में सतहों के नाम से जाने जाते हैं। सुखडेहरा, जोगा, करीमुद्दीनपुर, दहिनवर, लोचाईन, सियाड़ी इत्यादि लगभग अब कुल 23 गांवों में आबाद एंव फल-फुल रहे हैं। अब तीसरे पुत्र घूरन दीक्षित के पुत्र मुकुंद दीक्षित के पुत्र भैरव शाह जो गोडकर किले के शासक तसदिक हैं। इनके प्रथम पुत्र सातन शाह दूसरे पुत्र कर्मसेन शाह के लोग कनुआन गांव में बसे हैं। चौथे पुत्र नारायन शाह को गोडकर किले पर चार पुत्र माधव राय, महेश राय, सारंग राय, पुरषोत्तम राय हुए। चौथे पुत्र के वंशज मुसुरदेवा में आबाद है। इसी प्रकार तृतीय पुत्र सारंग राय के वंशज गोडउर एवं लखनीपुर में आबाद है। अब प्रथम पुत्र माधव राय जी जिनको कुंडेसर प्राप्त था के वंशज कुंडेसर, महरुपुर, खरडिहा, देवरीयां, प्रतापपुर इत्यादि कुल सात गांवों में बसे हुए है। अब नारायण शाह के द्वितीय पुत्र बाबू महेश राय जो नरायनपुर में बसे इनके दो पुत्र हुए जिनमें ज्ञानचंद दीक्षित और दुल्लम देव दीक्षित हैं। दुल्ल्मदेव दीक्षित के वंशज मसौनी गांव के लोग हैं। ज्ञानचंद दीक्षित की शाखा अति विकसित होकर क्षेत्र के नरायनपुर, विसम्भरपुर, लट्ठूडीह, परसा, रजौली, बगेंद इत्यादि अनेकों गांवों में प्रगति कर रहे हैं। इसी वंश परम्परा में ज्ञानचंद दीक्षित के वंश कुल के अरविंद राय पुत्र स्व०नागेंद्र राय ग्राम लट्ठूडीह द्वारा अपने पुर्वजों की पुण्यतिथि पर सहरमाहडीह के जीर्ण शीर्ष दशा को देखकर व्यथित हो गये।समाज के श्रेष्ठजनों के आग्रह पर स्वयं इस किनवार कीर्ति स्तंभ का निर्माण का संकल्प लेकर ई. अरविंद राय द्वारा इस सम्पूर्ण स्तंभ स्थल का निर्माण कराया गया है।आगामी 24 दिसम्बर शुक्रवार को किनवार कीर्ति स्तम्भ सहरमाडीह भांवरकोल का भव्य लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित है।लोकार्पण उप राज्यपाल जम्मू काश्मीर मा० मनोज सिन्हा के कर कमलो के द्वारा सम्पन्न होगा।