कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु का हुआ था पहला अवतार, इस वजह से आज के दिन को कहते हैं ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’

कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु का हुआ था पहला अवतार, इस वजह से आज के दिन को कहते हैं ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’
भगवान विष्णु का पहला अवतार इसी दिन हुआ था। प्रथम अवतार में भगवान विष्णु मत्स्य यानी मछली के रूप में थे। भगवान को यह अवतार वेदों की रक्षा, प्रलय के अंत तक सप्तऋषियों, अनाजों और राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए लेना पड़ा था। इससे सृष्टि का निर्माण कार्य फिर से आसान हुआ।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक असुर का संहार कर दिया। इससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिवजी को त्रिपुरारी नाम दिया जो शिव के अनेक नामों में से एक है। इसलिए इसे ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ भी कहते हैं।
सिख सम्प्रदाय के संस्थापक गुरु नानक देव का जन्म आज ही के दिन हुआ था। इसे गुरु पर्व भी कहा जाता है। कार्तिक पूर्णिमा उत्सव दीपावली की भांति दीप जलाकर सायंकाल में मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है क्योंकि आज के दिन देवता स्वर्ग से उतरकर पृथ्वी पर दीपक जलाते हैं।
आज के दिन भगवान विष्णु के पूजन करने से इस लोक में सुख भोकर अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज के दिन संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है।
आज के दिन गंगा-स्नान, दीप दान, अन्य दानों आदि का विशेष महत्व है। इस दिन क्षीरसागर दान का अनंत महत्व है, क्षीरसागर का दान 24 अंगुल के बर्तन में दूध भरकर उसमें स्वर्ण या रजत की मछली छोड़कर किया जाता है। आज के दिन भगवान शिव का दर्शन करने से व्यक्ति सात जन्मों तक ज्ञानी और धनवान बना रहता है।