गंगा की गोद में आस्था की डुबकी : जान्हवी के तट पर उमड़ा भक्तों का रेला, गंगा स्नान करने के बाद किया दान-पुण्य, सुख-समृद्धि की कामना

गंगा की गोद में आस्था की डुबकी : जान्हवी के तट पर उमड़ा भक्तों का रेला, गंगा स्नान करने के बाद किया दान-पुण्य, सुख-समृद्धि की कामना
कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर शुक्रवार को धर्म की नगरी काशी के घाटों पर आस्था और श्रद्धा का नजारा दिखा। हजारों श्रद्धालु घाटों पर गंगा स्नान के लिए पहुंचे। कार्तिक महीने की पूर्णिमा पर गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। पुण्य प्राप्ति के लिए लोग गंगा में डुबकी लगाया। साथ ही मां गंगा की पूजा-अर्चना भी किया। स्नान के बाद भक्तों ने बहती गंगा में दीप दान भी किया।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्य की पहली किरण के साथ ही सबने गंगा में डुबकी लगाना शुरू कर दिया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा विशेष फल देने वाली होती है। सूर्योदय से पूर्व ही आस्थावानों का जमावड़ा गंगा, गोमती और वरुणा आदि नदियों में लगा।
हर-हर महादेव के साथ हर हर गंगे का उदघोष करते हुए आस्थावानों ने नदियों में स्नान कर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सुख और समृद्धि की कामना की। नदियों के तट पर न पहुंच पाने वाले आस्थावानाें ने घरों में ही विशिष्ट अनुष्ठान कर श्री हरि की पूजा के साथ ही दान कर पुण्य की कामना की।
सुबह से ही घाटों पर दूर दूर तक आस्था का रेला लगा लगा और लोगों ने घाट पर दान पुण्य के साथ ही कार्तिक मास पर्यंत पूजन अनुष्ठानों का भी पारण कर वर्ष भर के लिए श्री और समृद्धि की कामना की।
वरुणा नदी में स्नान के लिए उमड़े श्रद्धालु
कार्तिक पूर्णिमा पर रामेश्वर स्थित वरुणा घाट पर शुक्रवार की भोर से ही स्नान का क्रम दोपहर तक चला। स्नान दान के बाद श्रद्धालुओ ने रामेंश्वर महादेव मन्दिर, माँ तुलजा -दुर्गा भवानी, राधा -कृष्ण, रामदरबार, हनुमान, कालभैरव, दत्तात्रय, नरसिंह भगवान का दर्शन कर पुष्प-अक्षत अर्पित किया। महंत राममूर्ति दास उर्फ मद्रासी बाबा, पुजारी पं. अन्नू तिवारी ने कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान व भगवान कार्तिकेय के दर्शन पूजन का महत्व बताया। क्षेत्र में मेला जैसा माहौल रहा। सुरक्षा की स्थानीय पुलिस के साथ ही स्वयंसेवी संगठनो ने संभाल रखी थी।