अयोध्या-सूर्य की किरणें करेंगी रामलला का अभिषेक, वैज्ञानिकों को शोध का जिम्मा

अयोध्या-सूर्य की किरणें करेंगी रामलला का अभिषेक, वैज्ञानिकों को शोध का जिम्मा
अयोध्या-रामनगरी अयोध्या में राम मंदिर का गर्भ गृह इस तरह निर्मित किया जाएगा, जिससे सूर्य देव की रश्मियां रामलला तक आसानी से पहुंच सकें। साथ ही साथ रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें सीधे रामलला के मुखारविंद पर पड़ें, इसको ध्यान में रख कर मंदिर निर्माण की रणनीति बनाई जा रही है।
इसके लिए सूर्य की खगोलीय स्थितियों पर अध्ययन भी शुरू हो गया है। इस शोध के नतीजे के आधार पर मंदिर निर्मित किया जाएगा। इसके लिए ओडिशा के कोणार्क मंदिर जैसी विशिष्ट तकनीक को अपनाने पर भी मंथन किया जा रहा है।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ही ये इच्छा जताई थी कि रामनवमी को भगवान राम के मुख पर सीधे सूर्य किरणें पड़ें, इसको ध्यान में रख कर ही मंदिर निर्मित हो। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय के अनुसार प्रधानमंत्री की इच्छा को देखते हुए इस पर काम किया जा रहा है।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया कि ओडिशा स्थित कोणार्क का सूर्य मंदिर उदाहरण है जहां मंदिर के अंदर सूर्य की किरणें पहुंचती हैं। ऐसे में गर्भगृह तक सूर्य की किरणें कैसे पहुंचे, इसको लेकर सभी तकनीकी पहलुओं और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण से जुड़े तकनीकी पहलुओं पर एक समिति का गठन भी किया गया है। इसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली, आइआइटी मुम्बई, आइआइटी रुड़की सहित राट्रीय भवन निर्माण संस्थान के विशेषज्ञ शामिल हैं।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने बताया कि नींव में बालू नहीं प्रयुक्त हुई। अब ऊपरी हिस्से में जरा भी कंक्रीट प्रयुक्त नहीं होगी। उन्होंने बताया कि विज्ञानियों का मत है कि कंक्रीट और लोहे से निर्मित भवन की आयु मात्र सौ वर्ष हो सकती है जबकि पत्थर की आयु एक हजार वर्ष है, इसीलिए तय किया गया कि नींव के ऊपरी हिस्से में कहीं पर भी कंक्रीट नहीं प्रयुक्त की जाएगी। बताया कि मंदिर के चौखट व बाजू भी पत्थर से बनेंगे।