June 20, 2025

श्राद्ध कर्म से ही गृहस्थ आश्रम सुख मय हो सकता है -त्रिदंडी स्वामी

IMG-20210921-WA0017

श्राद्ध कर्म से ही गृहस्थ आश्रम सुख मय हो सकता है -त्रिदंडी स्वामी

गाजीपुर जनपद के उंचाडिह स्थित श्री नागेश्वर नाथ धाम पर चातुर्मास कर रहे गंगापुर त्रिदंडी स्वामी ने अपने मुखारबिन्द से उपस्थित श्रोताओं को भागवत कथा रूपी कथामृत का पान कराते हुए कहा की श्राद्ध कर्म से ही गृहस्थ आश्रम सुखमय हो सकता है।
संसार में परिवार में आज जो भी समस्याएं है,उनका एक मात्र कारण है, पितृ गण का रूष्ट होना, परिवार में उटपटांग लोगो का जन्म होना,आधी, ब्याधी, भूत प्रेत का उपद्रव,या ब्यापारिक नुकसान, इसलिये ,श्राद्ध कर्म से उदासीन मत हो, स्वधा देवी पितरों के अधिष्ठात्री देवी ही, देवताओं के लिए स्वाहा का प्रयोग किया जाता है, पितरों के लिए स्वधा का प्रयोग किया जाता है, हमारे कई जन्मों के पूर्वज किस योनि में है कहा पता है,और जब हम पिंड दान करते है तो वह जिस योनि में रहते है उन्हे वैसा आहार मिल जाता है। अगर देव लोक में है तो वहां अमृत पिलाया जायेगा, गाय आदि बने तो चारा रूप में मिल जाता है,अगर मुक्त हो जाते होंगे तो ठाकुर जी के धाम में पहुंच जाए,तो आपका पिंड श्री हरी के चरणो मे पहुंच जाएगा। उससे भगवान तृप्त हो जाते है,। सर्वेशाम पितृ रूपी जनार्दन:। उनके तृप्त होने से सारा ब्रह्माण्ड तृप्त हो जाता है। महात्माओं के लिए भी,यति दंड धरि यति है,तो गया जी में जाकर अपने दंड का स्पर्श विष्णु पाद से करा दे उसके मातृ कुल,पितृ कुल,एवम आचार्य कुल,सब बैकुंठ ,पहुंच जायेंगे,
पूरा विधि – पहले अपने घर में श्राद्ध करे, फिर पितरों को लेकर हरिद्वार, ब्रम्ह कुंड, पर पितरो को गंगा स्नान करावो,फिर प्रयाग वहां श्राद्ध करे,फिर वाराणसी श्राद्ध करे,एक एक रात्रि विश्राम करे,पुनपुन नदी में श्राद्ध करे, तब उस पार गया जी जाए,तो वहां सोलह दिनों का श्राद्ध करे,प्रतिपदा के दिन नाना के खानदान का श्राद्ध करे, तब दिव्य लाभ होगा, और पुत्र वही श्रेष्ठ है जो तीन काम जो करे वो पुत्र,जब तक माता पिता जिंदा तब तक उनकी आज्ञा का पालन करे, बिंदु श्रृष्टि में पुत्र है, नाद श्रृष्टि में शिष्य, माता पिता गुरु के जाने के बाद उदारता पूर्वक ,श्राद्ध करे गया में पिंड दान करे,और उनकी पद , प्रतिष्ठा,को बढ़ा ना ये पुत्र का धर्म है।

About Post Author