June 20, 2025

पितृपक्ष श्राद्ध : पितरों के तर्पण के लिए काशी में गंगा घाट से लेकर पिशाचमोचन तक आस्थावानों की भीड़, शुरू हुआ पूजन-अनुष्ठान का दौर

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पितृपक्ष श्राद्ध : पितरों के तर्पण के लिए काशी में गंगा घाट से लेकर पिशाचमोचन तक आस्थावानों की भीड़, शुरू हुआ पूजन-अनुष्ठान का दौर

वाराणसी- पितरों की प्रसन्नता के लिए श्राद्धकर्म शुरू हो गया। काशी में देश के विभिन्न प्रांतों से आने वाले लोगों की संख्या बढऩे लगी है। मंगलवार की सुबह गंगा घाटों पर तर्पण करने वालों की काफी भीड़ उमड़ी। उधर पिशाचमोचन में भी पितरों को नमन करने का अनुष्ठान भी शुरु हुआ। 6 अक्टूबर तक चलने वाले इस 16 दिवसीय पितृपक्ष में सभी अपने पूर्वजों को याद कर रहे हैं। काशी के दशाश्वमेध, शीतला, अस्सी सहित विभिन्न घाटों पर पिंडदान करने के लिए सुबह से लोगों का तांता लगा रहा। पिशाचमोचन पर भी श्राद्ध पूजन के लिए लोगों की भीड़ देखने को मिली।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रद्धा के साथ जो संकल्प और तर्पण किया जाता है उसे श्राद्ध कहते हैं। श्राद्ध के महत्व के बारे में कई प्राचीन ग्रंथों तथा पुराणों में वर्णन मिलता है। श्राद्ध का पितरों के साथ बहुत ही घनिष्ठ संबंध है। पितरों को आहार और अपनी श्रद्धा पहुंचाने का एकमात्र साधन श्राद्ध है। मृतक के लिए श्रद्धा से किया गया तर्पण, पिंड और दान ही श्राद्ध कहा जाता है।

भाद्रपद की पूर्णिमा को शुरू होने वाला पितृपक्ष 15 दिनों तक चलता है। अश्विन की अमावस्या यानी सर्वपितृ अमावस्या को खत्म हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार तीन प्रकार के होते हैं जिनमें देव ऋण ऋषि ऋण और पितृ ऋण होता है। पितरों को तलने के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म किया जाता है।

घाट पुरोहितों के अनुसार मान्यता है कि पितरों को श्रद्धा से अर्पित किया जाता है वह उन्हें खुशी खुशी मिल जाता है। पितृपक्ष पक्ष को महालय या कनागत भी कहा जाता है। सुबह से ही काशी के अस्सी घाट पर लोग स्नान कर रहे हैं। स्नान करने के बाद लोगों ने अपने पितरों को पिण्ड दान कर रहे हैं।

धर्मशालाओं व गेस्ट हाउसों में भीड़

भारत के विभिन्न प्रांतों से काशी आकर तर्पण करने वालों की काफी उपस्थिति घाट के आसपास धर्मशालाओं व गेस्ट हाउसों में हैं। सोमवार की शाम से लोगों की भीड़ होने लगी हैं। मंगलवार की सुबह तर्पण करने के लिए पंडे-पुरोहितों ने भी तैयारी कर रखी थी। पूजा-पाठ की दुकानों में अनुष्ठान से संबंधित वस्तुओं की काफी मांग रही।

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