सात सुरों से सजी रामलला की शाम
पांच सदी बाद रामजन्मभूमि परिसर में हिलोर मार रहा झूलनोत्सव
500 वर्ष पश्चात झूला झूल रहे राक्ष लला

अयोध्या नगरी में पांच सदी के बाद ऐसा मौका आया, जब रामलला की शाम सात सुरों से सजी। चांदी के हिंडोले पर विराजमान रामलला का दरबार भक्ति की गागर से निकले गीतों से सजी । जैसे-जैसे झूलन गीतों की प्रस्तुति आगे बढ़ी वैसे-वैसे पूरा परिसर विरासत के गौरवगान पर इतराता नजर आया और रामलला के तो कहने ही क्या…। भक्ति, संस्कृति और परंपरा को समाहित किए गीतों पर श्रोता कभी आनंद में डूबते नजर आए और कभी अपने रामलला को विनयवत हो प्रणाम करते।

करीब दो घंटे तक चली संगीत संध्या में मधुकरिया संत व संगीतज्ञ मिथिला बिहारी दास ने पहली प्रस्तुति दी। ‘…हरि हरि झांकी निरखों बांकी अवधलला की रे हरी, बाकी ब्रह्मसभा की मति गति
सकुची सब वसुधा की रामा..’ से आरंभ हुए इस सिलसिले के गवाह मंडलायुक्त एमपी अग्रवाल भी बने, जो पहुंचे तो रामलला का दर्शन करने थे पर भक्तिरस में डूबे गीतों के प्रवाह में वे भी बंध गए।

इस दौरान अर्चक जहां हिंडोले की डोर से भगवान को झूला झुलाते रहे तो वहीं श्रोतागण भी भगवान के इस वैभव को अपलक निहारते रहे। मधुकरिया संत एमबी दास के साथ लालजी मलिक ने तबले पर संगत की। एमबी दास कहते हैं कि रामलला के समक्ष गीतों की प्रस्तुति करना कई जन्मों के पुण्य से हुआ है। यह स्वर्णिम अवसर पांच सदी बाद आया है।

22 तक नित्य सजेगी संगीत संध्या : रामलला सावन पूर्णिमा यानी 22 अगस्त तक हिंडोले पर विराजमान रहेंगे। इस दौरान प्रतिदिन शा पांच से सात बजे तक संगीत संध्या सजेगी।