हाथी पर सवार होकर आएंगे पूर्व मंत्री विजय मिश्रा

गाजीपुर अखिलेश सरकार में मंत्री रहे विजय मिश्रा हाथी पर सवार होकर एक बार फिर सदर से चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोकेंगे। उन्हें कभी भी बसपा अपना उम्मीदवार घोषित कर सकती है। उनके चुनाव लड़ने की जानकारी मिलते ही सपा में भी खलबली मची हुई है।
सदर विधानसभा से चुनाव लड़ना हुआ तय
बताया जा रहा है कि विजय मिश्रा एक ऐसा नाम है जिसके समर्थक हर वर्ग में बताए जा रहे हैं। उन्होंने मंत्री रहते विकास की गंगा • बहाई । मेडिकल कालेज एवं जिला अस्पताल के नए भवन का उन्हीं के हाथों शिलान्यास हुआ था, हालांकि उन्होंने 2017 चुनाव से पहले पाल बदला और सपा छोड़ बसपा का दामन थाम लिया, मगर वह चुनाव नहीं लड़े। सपा में मुलायम सिंह के परिवार के करीबी रहे विजय मिश्रा जब 2012 में
सदर से विधायक बने तो उन्हें तत्काल मंत्री बना दिया गया। मंत्री बनते ही उन्होंने सदर में विकास शुरू कर दिया। स्टेडियम से लेकर मेडिकल कालेज
और जिला अस्पताल के नए भवन को दो सौ बेड करने में विजय मिश्रा की ही भूमिका रही। शहर में 212 करोड़ की सड़कों का उन्हीं के कार्यकाल में जाल बिछा। सरकार जाते जाते उन्होंने स्टेडियम एवं आडिटोरियम की आधारशिला रखी थी। आज मेडिकल कालेज बनकर तैयार है.
लोकार्पण सीएम योगी करेंगे
सियासत में धमाकेदार इंट्री करने वाले पूर्व मंत्री विजय मिश्रा 2020 के कोरोना काल में गरीबों को दो महीने से अधिक समय तक भोजन कराया। लखनऊ में बैठकर उनकी एक अपील पर शहर के संभ्रांत लोगों ने गरीबों के लिए हर प्रकार की सहायता की
मंत्री रहते सदर में बहाई थी विकास की गंगा
उनके घर पर ही भोजन तैयार होता था और वहीं से उसका वितरण हुआ करता था। वह अखिलेश के भी करीबी थे । मगर शिवपाल यादव और अखिलेश के विवाद के बाद वह सपा में अलग थलग पड़ गए। तब कई मंत्रियों को बर्खास्त किया गया था, जिसमें गाजीपुर से शादाब फातिमा, ओमप्रकाश सिंह शामिल थे। इसकी भनक उनको लगी तो उन्होंने पहले ही सपा से इस्तीफा दे दिया और बसपा का दामन थाम लिया। बिंद, यादव, मल्लाह, ब्राहम्ण, कुशवाहा, राजपूतों
के साथ ही नगर के बनिया बिरादरी के साथ ही अन्य समुदायों में आज भी विजय मिश्रा के समर्थकों की संख्या अच्छी खासी बताई जाती है। अगर वह चुनाव मैदान में कूदते हैं तो इसका सियासी नुकसान भाजपा को ही होगा, क्योंकि शहर के रहने के कारण उनकी पकड़ शहरी वोटरों में मजबूत मानी जाती है। सियासी पंडितों की मानें तो विजय मिश्रा के आने पर सपा के साथ ही भाजपा भी नुकसान में रहेगी। क्योंकि अपने मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने हर वर्ग को अपने साथ जोड़ा, जो उन्हें चुनाव में फायदा पहुंचाएगा। वैसे कभी विजय मिश्रा के धुर विरोधी रहे राजकुमार सिंह गौतम भी बसपा से इसी सीट पर आस लगाए बैठे हैं। वह भी एक बार जमानियां विधानसभा से विधायक निर्वाचित हो चुके हैं, लेकिन विजय मिश्रा ने 2012 के चुनाव में उन्हें मामूली वोटों से चित किया था, जिसका मुकदमा आज भी अदालत में विचाराधीन है। जानकारों की मानें तो इस बार बसपा थोक के भाव ब्राम्हण उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की रणनीति पर काम कर रही है।