योग तन और मन के लिए वरदान है – फादर पी विक्टर

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सेंटजॉन्स स्कूल,सिद्दीकपुर, जौनपुर के प्रधानाचार्य फादर पी विक्टर ने अध्यापक एवं कर्मचारियों के साथ योग किया।योग की महत्ता को बताते हुए फादर ने कहा कि योग तन और मन का वरदान है।योग करने से जहाँ शरीर मजबूत होता है वहीं मन की शक्ति भी बढ़ती।आसन और प्राणायाम के द्वारा शरीर मजबूत होता है और प्राण पर नियंत्रण होता है।

आसन सिद्ध हो जाने के बाद ध्यान को सिद्ध किया जाता है।मनुष्य के मेरुदंड एवं मस्तिष्क में न्यूरॉन्स होते हैं जो ध्यान के द्वारा सक्रिय होते हैं।मनुष्य के शरीर में विद्यमान न्यूरॉन्स में से सामान्यतः दो से तीन प्रतिशत ही सक्रिय रहते हैं पर योग और ध्यान करनेवाले व्यक्तियों का न्यूरॉन शत प्रतिशत तक सक्रिय हो जाता है।ऐसे व्यक्ति के पास असीमित शक्ति आ जाती है।यदि नियमित रूप से आसन ,प्राणायाम और ध्यान किया जाय तो बुद्धि का विकास कई गुना हो जाता है।विद्यार्थियों के लिए तो योग अमृत के समान है।इससे एकाग्रता बढ़ती है और शरीर में स्फूर्ति आती है।

योग के प्रमुख आचार्य महर्षि पतञ्जलि ने कहा है कि ‘योग: चित्तवृत्ति निरोध:’ अर्थात चित्त की वृत्तियों को नियंत्रित कर लेना ही योग है।भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है ‘ योग: कर्मसु कौशलम् ‘ अर्थात कर्म की कुशलता ही योग है।चित्त की वृत्तियों का निरोध और कर्म की कुशलता यौगिक साधना से ही सम्भव है।योग का अर्थ होता है जोड़ना अर्थात वह ईश्वर से जोड़ता है।योग किसी धर्म विशेष तक सीमित नहीं है यह तो समस्त मानव जाति के लिए वरदान है।प्रभु येसू,मूसा,मुहम्मद साहब आदि ने योग के द्वारा ही विशिष्टता को प्राप्त किया था।प्रभु येसू यौगिक साधना के फलस्वरूप ही अपने भक्तों के उद्धार के लिए पुनः जी उठे थे।अतः हर मानव को नियमित योग करना चाहिए।करोना महामारी में भी देखा गया कि जो लोग नियमित योग करते हैं उनपर इसका असर कम पड़ा है।प्रधानाचार्य जी ने योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास की भी सराहना की।
इस अवसर पर विद्यालय के वरिष्ठ प्रवक्ता प्रेमशंकर यादव सहित अन्य अध्यापक एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।