इतवारी देवी व रामकरण प्रजापति की स्मृति में पौधरोपण-
वृक्षारोपण की अनोखी परंपरा कर रही धरती का श्रृंगार।
जन्म से लेकर मृत्यु तक लगाते हैं पौधे।

मृत आत्माओं की स्मृति में लगे अक्सीजन प्रदाता वृक्ष।
सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रयास से बीस वर्ष पूर्व विभिन्न संस्कारों पर अवधी रोपण की परंपरा आज धरती को हरा-भरा कर रही है।
जन्म से लेकर वैवाहिक संस्कार और मृत्यु उपरांत लोग न केवल पौधरोपण करते हैं बल्कि उनकी देखभाल भी करते हैं।
मनिहारी विकासखंड के यूसुफपुर गांव में इतवारी देवी एवं रामकरण प्रजापति की मृत्यु होने के दसवें दिन बेसो नदी के किनारे पीपल पाकड़ बरगद लगाकर उनकी स्मृति को पर्यावरण से जोड़ा गया।
नदी के किनारे और लोगों ने भी अपने परिवार के सदस्यों की मृत्योपरांत पौधरोपण किया है जो आज काफी बड़े और हरे भरे हो गए हैं।
ब्रज भूषण दुबे ने उक्त अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि केवल सरकार के भरोसे हम पर्यावरण की रक्षा नहीं कर सकते इसके लिए लोगों को तुलसी से लेकर पीपल तक के ऑक्सीजन प्रदाता पौधों को रोपित करना ही होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना की दो लहरों ने धन जन की बहुत बड़ी हानि किया है इसकी रक्षा पर्यावरण संरक्षण से ही हो सकती है।
उक्त अवसर पर रूद्र प्रताप सिंह, रामवृक्ष प्रजापति, गुल्लू सिंह यादव , झब्बू सिंह ,सुर संग्राम उपविजेता मनोहर सिंह, शैलेश, पप्पू प्रजापति, आशीष कुमार सिंह (राजू), एसपी सिंह, पिंटू, विनोद, वीरेंद्र नाथ सिंह, दुखी प्रजापति आदि लोग उपस्थित थे।