June 18, 2025

दैहिक दैविक एवम भौतिक सारे ताप व संताप को हर लेती है-मां कष्टहरणी

ईक्यावन शक्ति पीठों मे से एक प्रमुख पीठ मां दुर्गा का एक दिब्य स्वरूप है मां कष्टहरणी

 

दैहिक दैविक एवम भौतिक सारे ताप व संताप को हर लेती है-मां कष्टहरणी

नवरात्र के प्रथम दिन मां के धाम में जले हजारों अखण्ड दीपक

भोर से ही दर्शनार्थियों की लगी कतार.दस बजते बजते मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से भर गया

 

मां कष्टहरणी के यहां इस स्थान पर हर युग मे बिराजमान होने का प्रमाण मिलता है

ईक्यावन शक्ति पीठों मे से एक प्रमुख पीठ मां दुर्गा का एक दिब्य स्वरूप है मां कष्टहरणी ,जो पल भर में अपने भक्तों के दैहिक दैविक एवम भौतिक सारे ताप व संताप को हर लेती है। अपने दरबार में पहूंचे भक्तों की सारी मनोकामनाऐ एवम मुरादे पूर्ण कर देती है मां कष्ट हरणी।

पुजारी के रूप में लम्बे समय से स्वर्गीय हरिद्वार पांण्डेय सेवा कर रहे थे लेकिन अब उनके पुत्र राजेश पाण्डेय पुजारी के रूप में एवम किशुनदेव उपाध्याय ,महेश्वर पाण्डेय मां की सेवा में लगे है।

अपने भक्तों के सभी रोग शोक दु:ख का शमन करके धन धान्य एवम आरोग्यता प्रदान करने वाली माता का नाम है मां कष्टहरणी। जो युगो युगो से गाजीपुर जनपद के मुहम्मदाबाद से चितबडागांव मार्ग पर करीमुद्दीनपुर थाने के पास निवास करती है,सदैव अपनें भक्तों के कष्टों को हरने वाली मां का नाम है मां कष्टहरणी, दया की सागर ममतामयी करूणामयी मां का नाम है मां कष्टहरणी,मां का यह पावन एवम पवित्र धाम युगो युगो से करीमुद्दीनपुर मे बिराजमान है,युगो पुर्व यह स्थान दारूक बन के नाम से जाना जाता था,जिस बन मे शेर बाघ जैसे हिंसक जीव बिचरण किया करते थे,मां के स्थान के बगल में बघउत बरम बाबा का स्थान है,जनश्रृतियों के अनुसार बाघ से लडाई के दौरान उनकी मृत्यु हो गयी थी तभी से आप बघउत बरम बाबा के नाम से यहां पर बिराजमान है,मां कष्टहरणी के यहां इस स्थान पर हर युग मे बिराजमान होने का प्रमाण मिलता है,आप की चमत्कारिक शक्तियों से जो भी आपकी शरण मे आकर पवित्र मन से प्रार्थना किया आपने उसका सदैव कल्याण किया,आपने अपने हरभक्त का सदैव मंगल ही किया है,आपके दरबार में सच्चे एवम पवित्र मन से की गयी आराधना कभी खाली नहीं जाती है।

कलयुग में बाबा कीनाराम जी को स्वयम मां कष्टहरणी ने अपने हाथ से प्रसाद प्रदान कर सिद्धियां प्रदान की थी

मां कष्टहरणी की कृपा अपने सभी भक्तों पर सदैव अनवरत बरसती रहती है।त्रेतायुग में भगवान राम ,लक्ष्मण महर्षि विश्वामित्र के साथ अयोध्या से सिद्धाश्रम बक्सर जाते समय यहां पर रूक कर मां कष्टहरणी का दर्शन पूजन किये थे। उसके पश्चात कामेश्वर नाथ धाम कारो जो बलिया एवम गाजीपुर के सीमा पर स्थित है वहां पहुंचने का प्रमाण है,आपने कामेश्वर नाथ धाम मे दर्शन पूजन कर रात्रि विश्राम किया तथा सुबह आप सभी गंगा पार कर बक्सर बिहार स्थित सिद्धाश्रम पहुंचे थे,यह कामेश्वर नाथ धाम वही स्थान है जहां समाधिस्थ शिव को जगाने में कामदेव भष्म हो गया था,त्रेता युग में अयोध्या नरेश महाराज दशरथ अयोध्या से शिकार खेलते खेलते गाजीपुर जनपद के महाहर धाम तक आ गये थे वहीं पर राजा दशरथ के शब्दभेदी बाण से श्रवण कुमार की मृत्यु हो गयी थी,आज भी उस स्थान पर श्रवण डीह नामक स्थान बिराजमान है,भगवान राम के साथ बक्सर जाते समय लक्ष्मण जी ने बाराचवर ब्लाक के उत्तर दिशा में रसडा के लखनेश्वरडीह नामक स्थान पर लखनेश्वर महादेव की स्थापना की थी जो आज भी लखनेश्वर नाथ के नाम से जाने जाते है,अब आपको ले चलते है द्वापर में जब धर्मराज युधिष्ठिर अपने भाइयों,द्रोपदी एवम कुल गुरू धौम्य ॠषी के साथ अज्ञातवास के समय मां कष्टहरणी धाम में आकर मां से अपने कष्टों को दूर करने के लिये प्रार्थना किये थे,मां के आशिर्वाद से महाभारत के युद्ध में पांडवों की बिजय हुई,जैसा मां का नाम है उसी के अनुरूप आप वास्तव में अपनें भक्तों का कष्ट दूर करती हैं,राजसूय यज्ञ के समय भीम हस्तिनापुर से गोरखपुर श्री गोरखनाथ जी को निमंत्रण देने जाते समय भी मां कष्टहरणी का दर्शन पूजन किये थे,कलयुग में बाबा कीनाराम जी को स्वयम मां कष्टहरणी ने अपने हाथ से प्रसाद प्रदान कर सिद्धियां प्रदान की थी,बाबा कीनाराम कारों से रोजाना अपने गुरू जी के सो जाने के पश्चात मां के पास आ जाते थे और गुरू जी के जागने से पहले वापस कारो पहूंच जाते थे।

रामनवमीं के दिन मा के धाम पर बिराट मेले का आयोजन किया जाता है

एक दिन गुरू जी ने कीनाराम जी से पूछ दिया तो कीनाराम जी ने सच सच बता दिया की मै मां कष्टहरणी की सेवा में चला जाता हू। गुरू जी ने कीनाराम जी को जाने से तो नहीं रोका लेकिन हिदायत दिया था की वहां का कुछ भी खाना नही। एक दिन स्वयं मां ने अपने हाथ से कीनाराम जी को प्रकट होकर प्रसाद देकर सिद्धी प्रदान की। गुरू जी के द्वारा यह जानने पर खुद उन्होने कीनाराम जी को कहा की जाओ अब तुम्हारे में वह सभी योग्यता हो गयी है अब समाज का कल्याण करो। वहां से बाबा वाराणसी के गंगा तट पर पहूंचे तथा एक गंगा में बहते शव को देख कर बोले की तुम कहां जा रहे हो।बाबा कीनाराम जी की आवाज सुनकर वह मुर्दा उठ खडा हुवा। बाबा कीनाराम ने उसका नाम जियावन रक्खा। मां के आशिर्वाद से बाबा कीनाराम जी का यह पहला चमत्कार था।मां के धाम में गौतम बुद्ध,सम्राट अशोक,ह्वेन सांग,फाह्यान,स्वामी विवेकानन्द,सहजानन्द सरस्वती,मंडन मिश्र,जैसे अनेक लोगों ने इस मार्ग से जाते समय यहां रूक कर मां का दर्शन पूजन किया है,ह्वेन सांग एवम फाह्यान ने यहां का वर्णन अपने यात्रा बृतांत में किया है,मां के धाम में आश्विन एवम चैत्र नवरात्र में मातायें दूर दर से आकर अपने परिवार की सुख समृद्धी एवम सलामती के लिये मां कष्टहरणी के चरणों में चौबिस घंटे तक अखंड दीपक जलाती है,पुरी रात मां के चरणों मे गीत एवम नृत्य करती है,पूर्वांचल ही नहीं पुरेे उत्तर प्रदेश मे मां के पुराने स्थानों में से एक प्रमुख स्थान है,जितना अखण्ड दीपक मां कष्टहरणी के धाम में जलाया जाता है शायद पूरे भारत में और कहीं देखने को नहीं मिलेगा,देश के कोने कोने से लोग आकर मां का दर्शन पूजन करते है,वर्ष भर मां के धाम में शादी मुंडन किर्तन एवम रामायण का आयोजन होता रहता है,मा के दर्शन मात्र से ही मानव का कल्याण हो जाता है,रामनवमीं के दिन मा के धाम पर बिराट मेले का आयोजन किया जाता है,मां के धाम में अयोध्या से पधारे महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 श्री शिवराम दास जी फलहारी बाबा के द्वारा बिराट यज्ञ का आयोजन भी किया गया था। मां के मन्दिर के निर्माण मे स्व लाल बाबा का सराहनीय सहयोग रहा है,पुजारी के रूप में लम्बे समय से हरिद्वार पांण्डेय सेवा कर रहे थे लेकिन अब उनके पुत्र राजेश पाण्डेय पुजारी के रूप में एवम किशुनदेव उपाध्याय ,महेश्वर पाण्डेय मां की सेवा में लगे है।

 

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