कर्मवीर सत्यदेव सिंह- एक परिचय

कर्मवीर सत्यदेव सिंह का जीवन आदर्श और प्रेरणा का एक ऐसा स्रोत है, जो समाज सेवा, शिक्षा, साहित्य और संस्कृति के माध्यम से मानवीय मूल्यों की स्थापना का उदाहरण प्रस्तुत करता है। उनके व्यक्तित्व की गहराई और उनके विचारों की व्यापकता उन्हें अपने समय के अग्रणी समाज सुधारकों और शिक्षाविदों में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करती है। वह सामाजिक व्यवहार में समतावादी और समाजवादी थे, जिन्होंने समानता और न्याय को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया। डॉ. राममनोहर लोहिया उनके राजनीतिक गुरु थे, और उनके विचारों से प्रेरित होकर सत्यदेव सिंह ने समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
विद्यार्थी जीवन से ही वह शिक्षा के महत्व को समझते थे। उन्होंने अपने क्षेत्र में एक स्कूल की स्थापना की, जो आगे चलकर एक प्रतिष्ठित इंटर कॉलेज के रूप में विकसित हुआ। यह न केवल शिक्षा के प्रसार का प्रतीक था, बल्कि समाज में जागरूकता और सशक्तिकरण की उनकी दूरदृष्टि का प्रमाण भी था। उनका मानना था कि राजनीतिक सत्ता का विवेकपूर्ण उपयोग समाज में गहरे और स्थायी बदलाव का माध्यम बन सकता है। उनके विचार और उनके प्रयास आज भी शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
राजनीति के क्षेत्र में उनकी भूमिका भी असाधारण थी। वह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के सहपाठी और राजनीतिक साथी थे। दोनों ने समान विचारधारा साझा की, जो लोकतांत्रिक मूल्यों, समाजवाद और जनसेवा पर आधारित थी। सत्यदेव सिंह केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि समाज की चेतना को प्रभावित करने वाले एक विचारशील नेता थे। उनका दृष्टिकोण यह था कि राजनीति केवल सत्ता प्राप्ति का माध्यम नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन का एक उपकरण है।
साहित्य और संस्कृति के प्रति उनकी रुचि भी गहरी थी। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर से प्रेरित होकर उन्होंने साहित्य को समाज सुधार और राष्ट्र जागरण का साधन माना। उनकी लेखनी में गहराई, सादगी और उद्देश्य स्पष्ट रूप से झलकता था। हिंदी और अंग्रेज़ी पर उनका असाधारण अधिकार था, और उर्दू भाषा के भी वह गहरे जानकार थे। उन्होंने हिंदी में कई सुंदर और विचारोत्तेजक लेख लिखे, जो “कर्मवीर अभिनंदन ग्रंथ” में प्रकाशित हुए। उनके पत्रों में उनकी चिंतनशीलता और भाषा की शुद्धता का अद्भुत समन्वय दिखाई देता है। उनके बड़े पुत्र प्रो. आनंद कुमार सिंह को लिखे गए उनके अंग्रेज़ी पत्रों के अंश इस ग्रंथ का हिस्सा हैं, और भविष्य में उनके पत्रों का संग्रह प्रकाशित होना भी प्रस्तावित है।
स्थानीय इतिहास, भूगोल और संस्कृति के प्रति उनकी रुचि उल्लेखनीय थी। जातियों के उत्थान-पतन, गाँवों के विकास, कृषि, सिंचाई और अपनी वंश परंपरा के इतिहास पर उनका अध्ययन गहन और मौलिक था। इन विषयों पर उन्होंने जो नैरेटिव विकसित किए, वे उनके विचारों की समृद्धता और उनकी दृष्टि की व्यापकता को दर्शाते हैं। उनके पुत्र प्रो. आनंद कुमार सिंह ने इन विषयों पर काम किया और उन्हें “कर्मवीर अभिनंदन ग्रंथ” में सम्मिलित किया।
श्री सत्यदेव सिंह का जीवन प्रकृति प्रेम और आध्यात्मिक चेतना से भी ओतप्रोत था। भारतीय ज्ञान परंपरा के श्रेष्ठ तत्वों को आत्मसात कर उन्होंने एक संतुलित जीवन दृष्टि विकसित की, जिसे वह निरंतर दूसरों को सिखाते और बताते रहे। वह मानते थे कि आध्यात्मिकता और सामाजिक उत्तरदायित्व का समन्वय ही एक स्वस्थ और सशक्त समाज का आधार है।
उनकी विरासत को उनके छोटे पुत्र प्रो. सानंद कुमार सिंह ने सजीव रखते हुए “सत्यदेव ग्रुप ऑफ कॉलेजेज” गाजीपुर, की स्थापना की। यह शैक्षणिक संस्थान आज उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता का मानदंड बन गया है। यह न केवल उनके विचारों और आदर्शों का प्रतीक है, बल्कि उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का माध्यम भी है।
कर्मवीर सत्यदेव सिंह का जीवन हर दृष्टि से साहसी, संकल्पवान, और प्रेरणादायक था। वह एक उत्कृष्ट शिक्षक, विचारशील राजनेता, सशक्त नेतृत्वकर्ता, और समाज के प्रति समर्पित व्यक्तित्व थे। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा, साहित्य, और राजनीति के माध्यम से समाज में स्थायी और गहरा बदलाव लाया जा सकता है। वह केवल एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक विचारधारा, एक आंदोलन और एक प्रेरणा थे, जो आने वाले समय में भी अपने प्रकाश से समाज को आलोकित करते रहेंगे।हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कर्मवीर सत्यदेव सिंह की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में 27 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश सरकार के डिप्टी सी एम् ब्रजेश पाठक का आगमन सत्यदेव कालेज परिसर में हो रहा है।