श्रीमद् भागवत का महारास प्रसंग जीवात्मा और परमात्मा के मिलन का सर्वोत्तम सोपान है-फलाहारी बाबा

श्रीमद् भागवत का महारास प्रसंग जीवात्मा और परमात्मा के मिलन का सर्वोत्तम सोपान है-फलाहारी बाबा

 

गाजीपुर जनपद के बाराचवर में शिवमंदिर पर अमृत सरोवर के किनारे आयोजित सरस संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा मे अयोध्या से पधारे मानस मर्मज्ञ भागवत् वेत्ता श्री श्री १००८ श्री शिवराम दास फलाहारी बाबा ने भागवत कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग को पहले दंड दिया फिर दीक्षा दिया फिर भिक्षा दिया। चरण से प्रहार दंड था ।फन पर नृत्य करना दीक्षा था। और गरुण से निर्भय करना भिक्षा था। भगवद् भक्ति रूपी भीक्षा को पाकर कालिया नाग प्रसन्न हुआ । श्रीमद् भागवत का महारास प्रसंग जीवात्मा और परमात्मा के मिलन का सर्वोत्तम सोपान है। श्रीमद् भागवत में पांच गीत का वर्णन है वेणु गीत प्रणय गीत गोपी गीत युगल गीत और भ्रमरगीत जो श्रीमद् भागवत का पंच प्राण है। मुरली को भगवान ने बहुत फैसिलिटी दे रखा है। हाथों पर सुलाना नेत्र के दोनों पलकों से पंखा करना होठ रूपी तकिया देना और उंगलियों से पैर दबाना। भगवान के प्यारे हम भी बन सकते हैं यदि वांसुरी का गुण हमारे अंदर हो जाए। वांसुरी का सबसे बड़ा गुण है कि उसमें गांठ नहीं होती यानी छल कपट नहीं होता। वह अपने नहीं बोलती मौन रहती है।कन्हैया जब बुलवाता है तभी बोलती है। यानी शास्त्र श्रुति और परमार्थ की भाषा बोलती है।उसके वाणी से सभी लोग सुखी हो जाते हैं।कभी कड़वी वाणी का प्रयोग नहीं करती जब भी बोलती है मीठी वाणी ही बोलती है । परिवार गांव समाज को बस में करना हो तो वांसुरी के जीवन को आत्मसात करना ही पड़ेगा।जीव का जन्म-मृत्यु कर्म से होता है ।भय क्षेम सुख-दुख कर्म का ही परिणाम होता है। परीक्षित को श्राप लगा था परंतु कथा और सत्संग के प्रभाव से तक्षक नाग के डसने के पहले ही परीक्षित ने प्राण का उत्सर्ग कर दिया। कथा विराम देते हुए बाबा ने एक श्लोकीय भागवत का पाठ और द्वादश स्कंद के अंतिम श्लोक का कराते हुए कहा कि जो फल सतयुग में तपस्या से त्रेता में यज्ञ से और द्वापर में पूजा से प्राप्त होता था वह फल कलयुग में केवल कीर्तन करने मात्र से प्राप्त हो जाता है। परंतु नशा करके कीर्तन नहीं करना चाहिए। सात्विक विचार से कीर्तन करना चाहिए।

 

प्रत्येक व्यक्ति को एकादशी का व्रत करना चाहिए। सनातनियों के लिए एकादशी व्रत सर्वोत्तम व्रत है ।ब्यास पुजन मनीष सिंह ऊर्फ विक्कू ने किया।इस दौरान पत्रकार यशवंत सिंह,देवेन्द्र कुमार सिंह,सियाराम शरण सिंह,दीपक सिंह,दयानन्द कुशवाहा,संजय पाण्डेय,रामजी शरण सिंह,संजय राय,मुकेश शर्मा,सब्लू शर्मा,सुनील कन्नौजिया,अन्नत सिंह,शशिभुषण मिश्रा,बालमिकी कुशवाहा,गुलाब कमलापुरी,गौतम सिंह,मनीष सिंह,सहित हजारो की सख्या मे नर नारी कथा का श्रवण कर रहे हैं।

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