सभी इच्छित मनोकामना पूर्ण करते हैं बाबा सोमेश्वर नाथ

सभी इच्छित मनोकामना पूर्ण करते हैं बाबा सोमेश्वर नाथ
बहुत ही प्राचीन शिव धाम के रूप में महादेवा में विराजमान हैं बाबा सोमेश्वर नाथ महादेव
महाशिवरात्रि पर श्रद्धालु जलाते हैं अखंड दीप
गाजीपुर जनपद के मुहम्मदाबाद तहसील के भगवान शिव का ऐसा मंदिर जो क्षेत्र के लोगों के आस्था एवं भक्ति का केन्द्र विन्दु है।इस प्राचीन स्थान को लोग महादेवा के नाम से जानते हैं और भगवान शिव के शिवलिंग को सोमेश्वर नाथ महादेव के नाम से।लोगों की यैसी मान्यता है की बाबा सोमेश्वर नाथ महादेव के दरबार में आकर उनसे मांगी गयी हर मन्नतें अवश्य पूरी होती हैं।बाबा सोमेश्वर नाथ महादेव बडे ही भक्तवत्सल एवं कृपालु हैं।वह भक्तों के सच्चे मन से की गयी आराधना का निश्चित रूप से सुखद फल प्रदान करते हैं।
मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु शिव भक्तों के द्वारा सोमवार एवं शुक्रवार को बाबा सोमेश्वर नाथ महादेव के अरघे को गुड.चीनी के शर्बत.गन्ने का रस.दूध एवं अन्न से भरा जाता है।
कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी एवं महाशिवरात्रि को शिवभक्तों के द्वारा अखंड दीपक जलाकर अपनी मनोकामना पूर्ण करने को लेकर बाबा सोमेश्वर नाथ की विशेष प्रार्थना की जाती है।बाबा सोमेश्वर नाथ महादेव के मंदिर में हर सोमवार को जलाभिषेक करने वालों की भींड रहती है।
सावन मास के सोमवार को तो दर्शन पूजन के लिए भक्तों का रेला उमडता है।बाबा सोमेश्वर नाथ महादेव के बारे में आचार्य पंडित अभिषेक तिवारी ने बताया की वर्तमान का मुहम्मदाबाद पूर्व में धारानगर के नाम से जाना जाता था।तेरहवीं शताब्दी में यहां के गंगा तट का गोला घाट ब्यापारिक ठहराव का प्रमुख केन्द्र था।उस समय आवागमन एवं ब्यापार का प्रमुख मार्ग जल मार्ग ही था।आस पास उस समय केवल घना जंगल था जहां चरवाहे नियमित अपने पशुओं को चराने के लिए लेकर आया करते थे।एक दिन एक चरवाहे ने जंगल के अंदर एक जगह से धूवां निकलते देखा उसने इसकी जानकारी अन्य चरवाहों एवं आस पास के स्थानीय लोगों को दी।ल़ोगों ने उस स्थान की सफाई करने के साथ साथ खुदाई करनी शुरू कर दी।खुदाई करने के दौरान लोगों को एक दिव्य शिवलिंग दिखाई दिया।शिवलिंग के दर्शन से उत्साहित लोगों ने खुदाई जारी रक्खी लेकिन वह शिवलिंग अपने स्थान पर जमीन में नीचे की तरफ धंसने लगा।उसी दौरान किसी के फावडे की चोट उस शिवलिंग पर पडी तो उसमें से रक्त की धारा निकलने लगी।लोग इस घटना से काफी डर गये।उन्होंने महादेव से क्षमा प्रार्थना की और उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ कर दिया।सामने नंदी की प्रतिमा स्थापित की गयी।
निर्माण के पश्चात दर्शन पूजन प्रारम्भ कर दिया।आज भी सोमेश्वर नाथ महादेव के शिवलिंग पर फावडे के चोट की निशानी साफ साफ दिखाई देती है।कालांतर में मंदिर एवं गर्भ गृह को शिव भक्तों के द्वारा भव्य रूप दिया गया है।प्रतिदिन सुबह शाम शिवभक्तों से मंदिर परिसर भरा रहता है।मंदिर में चारो तरफ बारामदा एवं धर्मशाला का निर्माण एवं बाबा का चौकठ एवं अन्य कार्य पूर्ण कर मंदिर को और खुबसूरत बना दिया गया है। महाशिवरात्रि के दिन यहां दूर दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं और बाबा सोमेश्वर नाथ महादेव का दर्शन पूजन करते हैं। महाशिवरात्रि पर्व के लिए सभी आवश्यक तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं।