कोई भी साहित्यकार और चित्रकार कभी मरता नहीं, वो अपने कृतियों के साथ हमेशा जीवित रहता है-अमरनाथ तिवारी अमर, चित्र बनाकर कला गुरु डॉ. राजकुमार सिंह की मनाई गई जयंती

कोई भी साहित्यकार और चित्रकार कभी मरता नहीं, वो अपने कृतियों के साथ हमेशा जीवित रहता है-अमरनाथ तिवारी अमर
चित्र बनाकर कला गुरु डॉ. राजकुमार सिंह की मनाई गई जयंती
शिष्यों ने गाज़ीपुर के गंगा जमुनी तहजीब को चरितार्थ कर दिया है। सम्भावना कला मंच के संस्थापक व प्रख्यात कला गुरु डॉ. राजकुमार सिंह (स्मृति शेष) के जन्म दिवस पर सम्भावना कला मंच,के तत्वाधान में कला-सूत्रम आर्ट गैलरी द्वारा “कला-लोक” एकदिवसीय चित्रकला कार्यशाला का आयोजन युवराजपुर में किया गया। उनके शिष्यों ने कैनवास पर अपनी मनोभावों को चित्र के माध्यम से उतार कर अपने कला गुरु का जन्मदिन मनाया। इस कार्यशाला का अनौपचारिक उद्धघाटन प्रख्यात वक्ता अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने कला गुरु डॉ. राजकुमार सिंह के छविचित्र पर पुष्प अर्पित व दिप प्रज्वलित कर किया। इस कार्यशाला के आयोजक कला-सूत्रम आर्ट गैलरी के संयोजक सुधीर सिंह ने मुख्य अतिथि को अंगवस्त्रम व पुष्पगुच्छ प्रदान कर उनका स्वागत सम्मान किया।
इस कार्यशाला में डॉ. सूर्यनाथ पाण्डेय, सीमा सिंह, पंकज शर्मा, सुधीर सिंह, विनोद राव, डॉ. राजीव कुमार गुप्ता, सपना सिंह, आशीष गुप्ता, कृष्ण पासवान, चंदन यादव, शिवंशी शर्मा, अंजली, मनीष कुशवाहा, सत्यम मौर्य, रीति सिंह, उत्कर्ष सिंह, अंकिता, हर्ष शर्मा, सतीश यादव आदि प्रतिभागी कलाकार रहे। आयोजक सुधीर जी ने बताया कि यह कार्यक्रम पूर्वरूपित है। इस “कला-लोक” कार्यशाला का आयोजन बीते 1 जनवरी 2023 को ही होना सुनिश्चित हुआ था, जो कि कला गुरु डॉ. राजकुमार सिंह की जयंती पर बिल्कुल नहीं होना था। बल्कि यह चित्रकला कार्यशाला का आयोजन उनके लिए ही, उनके साथ ही करने का तय किया गया था। पर अचानक सब कुछ बदल गया। वह काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। अस्वस्थ होने के बावजूद भी वो हर वक़्त अपने छात्रों और कला के ही बारे में सोचते रहते, रंग, ब्रश, चित्र, कोई आयोजन व कला के ही बारे में बातें करते पर अस्वस्थ होने की वजह से वह खुद अपनी चित्रकारी से दिन-प्रतिदिन दूर होते चले गए, जैसे जैसे दिन बीते वैसे वैसे वह अपनी सृजनता को बहुत याद करने लगे थे।
उनको बार-बार चित्रकारी करने का मन करता था। आए दिन वह रंग, ब्रश मंगवाने की जिद्द करने लगे थे। ऐसा लगता था कि चित्रकारी के बिना वह ज्यादा अस्वस्थ होते जा रहे हैं, जो बहुत चिंता का विषय था। उनके साथ हर समय उनकी पत्नी सीमा सिंह रहती थीं। मेरी बात इनके पत्नी से हुई और मैंने उनसे एक कार्यशाला का आयोजन करने के लिए कहा, उन्होंने उनके शिष्य राजीव से कार्यशाला के लिए बात की तो वो तुरन्त तैयार हो गए और 1 जनवरी को अपने गुरु जी के साथ उनके गाँव पर ही करने का तय हुआ पर होनी को ऐसा मंजूर नहीं था। कला गुरु डॉ. राजकुमार सिंह की तबियत अचानक ज्यादा बिगड़ गई और उन्हें उस कार्यशाला के एक दिन पूर्व ही बनारस हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा जिससे यह कार्यशाला सम्पन्न नहीं हो पाया। जो अब उनके नहीं रहने पर उनके जन्मदिन पर आयोजित किया गया है। अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने बताया कि कोई भी साहित्यकार और चित्रकार कभी मरता नहीं, वो अपने कृतियों के साथ हमेशा जीवित रहता है। इस कार्यशाला के सभी प्रतिभागी कलाकारों को मुख्य अतिथि व अन्य अतिथियों के द्वारा स्मृति चिन्ह व प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।
इस कार्यशाला में प्रभाकर त्रिपाठी, सुजीत कुमार, जनार्दन यादव, डॉ. शम्मी सिंह, शोभा विश्वकर्मा, राजेश कुमार, पुनीत सिंह, प्रभात सिंह, कान्हा सिंह, ओमप्रकाश सिंह आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन व धन्यवाद ज्ञापन सम्भावना कला मंच के सह-संयोजक डॉ. राजीव गुप्ता ने किया।