Supreme court:सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर लगाई रोक,बहाल हुई लोकसभा की सदस्यता

Supreme court:सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर लगाई रोक,बहाल हुई लोकसभा की सदस्यता
मोदी सरनेम केस (Modi surname case) में मिली सजा के खिलाफ राहुल गांधी द्वारा दायर याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल को बड़ी राहत दी है।
कोर्ट ने उन्हें मिली सजा पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि जब तक अपील लंबित है तब तक सजा पर रोक है। सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी की ओर से सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी और पूर्णेश मोदी की ओर से सीनियर वकील महेश जेठमलानी ने पैरवी की।
राहुल गांधी को 23 मार्च को सूरत की एक कोर्ट ने ‘मोदी’ उपनाम के खिलाफ उनकी टिप्पणी के लिए मानहानि मामले में दोषी ठहराया था। कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल जेल की सजा सुनाई थी। इसके चलते राहुल की संसद सदस्यता खत्म हो गई थी। राहुल गांधी ने इसके खिलाफ पहले सूरत के अपर कोर्ट में फिर गुजरात हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन राहत नहीं मिली। गुजरात हाईकोर्ट ने 7 जुलाई को राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद राहुल ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी।
क्या है मोदी सरनेम मामला?
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में रैली करते हुए राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था, “इन सब चोरों के नाम मोदी कैसे हैं? नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी। खोजने पर और भी बहुत सारे मोदी मिलेंगे।”
इस बयान के खिलाफ देशभर में राहुल गांधी के खिलाफ कई केस दर्ज कराए गए। गुजरात के पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने भी राहुल के खिलाफ शिकायत की थी। पूर्णेश मोदी की शिकायत पर 23 मार्च को सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा ने आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराया था और उन्हें अधिकतम दो साल कैद की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की (न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार) की पीठ ने कहा कि निचली अदालत ने मानहानि के अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता के तहत निर्धारित अधिकतम दो साल की कैद की सजा देने का कोई विशेष कारण नहीं बताया है।
सुप्रीम कोर्ट की तीन अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनका बयान गुड टेस्ट में नहीं था। सार्वजनिक जीवन में रहने वाले व्यक्ति से सार्वजनिक भाषण देते समय सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है। जैसा कि इस अदालत ने अवमानना याचिका में उनके हलफनामे को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें (राहुल गांधी) अधिक सावधान रहना चाहिए था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज द्वारा अधिकतम दो साल की सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है। अंतिम निर्णय आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत देते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के प्रभाव व्यापक हैं। अदालत ने कहा कि इससे न केवल गांधी का सार्वजनिक जीवन में बने रहने का अधिकार प्रभावित हुआ, बल्कि उन्हें चुनने वाले मतदाताओं का अधिकार भी प्रभावित हुआ।