June 19, 2025

पौधारोपण जनहित के लिए जीवन के लिए परम आवश्यक है- स्वामी राजनारायनाचार्य

जगद्गुरु स्वामी राजनारायनाचार्य जी ने श्री तिरूपति बालाजी मंदिर भक्ति वाटिका देवरिया में पर्यावरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ग्रीष्म ऋतु के कारण जल प्रायः सुख जाता है क्योंकि
‘ग्रीष्मो ग्रस्यन्तेऽस्मिन् रसाः॥’ {निरुक्त}
अर्थात् ग्रीष्म ऋतु में रस [ जल ] को सूर्य द्वारा सुखा दिया जाता है ।
व्याकरण के अनुसार ग्रस अदने धातु से मक् प्रत्यय कर ग्रीष्मः शब्द बनता है।
ग्रीष्म ऋतु में जल का स्तर नीचे चला जाता है जिससे वृक्ष सुखने लगते हैं ।
वृक्ष के भी अनेकों प्रकार होते हैं।
१. वनस्पति-जिस वृक्ष में फूल न आकर केवल फल ही लगता है,उस वृक्ष को वनस्पति कहते हैं।
जैसे-गूलर,पीपल,बरगद,कटहल,पांकड
२.औषधि-जो वृक्ष फलने के बाद नष्ट हो जाता है उसे औषधि कहते हैं।
जैसे- जौ, गेंहू,धान
३.लता- जो किसी के आश्रय लिए बढ़ता है,उसे लता कहते हैं।
जैसे-गुरुचि,लौकी आदि
४.त्वक्सार- जिसकी छाल बहुत कठोर होती है,उसे त्वक्सार कहा जाता है।
जैसे-बाँस ,बेंत आदि।
५. वीरुध् -जो लता पृथ्वी पर फैलती है उसे वीरुध् कहते हैं।
जैसे-तरबूजा-खरबूजा आदि।
६. द्रुम- जिसमें फूलों के स्थान पर फल लगते हैं उसे द्रुम कहा जाता है।
जैसे -आम, जामुन,महुआ आदि।
ज्ञातव्य है कि वृक्षों की रक्षा जब होती है तब ही वृक्ष हमारी रक्षा करते हैं ।
वर्तमान समय में भारत की सबसे बड़ी समस्या है पर्यावरण की अनदेखी।
वृक्षों की अंधाधुंध कटाई,नदियों में प्रदूषण आदि तो भारत के लिए आम बात हो गई है।
ध्यान रहे कि जब तक देश की जनता जागरूक नहीं होगी तब तक पर्यावरण की रक्षा नहीं हो पायेगी।
कभी बरसात की कमी तो कभी-कभी अत्यधिक बरसात,असह्य गर्मी,सर्दी,आगज़नी,महामारी,चक्रवात की विभीषिका को देश झेल रहा है ।
पर्यावरण संरक्षण नहीं होने के कारण ही भूगर्भ में जलस्तर समाप्ति के कागार पर है।
दक्षिण भारतीय लोग दूध के भाव पानी ख़रीदकर पी रहे हैं।
राजधानी दिल्ली में यदि गंगा नहर तथा यमुना का पानी सप्लाई न हो तो लोग पानी के बिना मर जायेंगे।
प्रत्येक पोखरा,तालाब,सार्वजनिक स्थल,डीह,सरकारी ज़मीन,अस्पताल,स्कूल,कालेजों में बरगद,पीपल,पाकड़,गूलर,नीम,आम,
पलास,खैर,आँवले आदि के वृक्षारोपण के साथ ही उसका पोषण भी परम आवश्यक हो गया है ।

पृथ्वी को एक नाम रसा है,पर इस रसा को रसहीन करनेवाला हलाहल विष प्लास्टिक तथा पॉलिथीन है।
पृथ्वी की उर्वरा शक्ति को नष्ट करनेवाली चीजें पॉलिथीन का प्रयोग हम सभी देश नहीं करेंगे तो स्वतः ही पृथ्वी की रक्षा हो जायेगी।
जहाँ तक मैं समझता हूँ कि उत्तरप्रदेश सरकार पॉलिथीन उन्मूलन के लिए युद्धस्तर पर कार्य कर रही है,यदि सभी लोग एकजुट होकर सरकार का सहयोग करते तो इस विपत्ति से देश को बचाया जा सकता है।

यदि भारत के प्रत्येक प्रदेशों की सरकारें शासनादेश जारी करती कि मास्टर प्लान के तहत प्रत्येक मकान के साथ एक वृक्ष के लिए जगह छोड़ना आवश्यक होगा,प्रत्येक कालोनी में वृक्षारोपण की जगह नीयत रहेगी तो स्वतः ही पर्यावरण की रक्षा हो जाती।

भारत के सबसे बड़े प्रदेश उत्तरप्रदेश की जनता से अपील है कि हम सभी मिल-जुलकर कर पीपल,बरगद,पाकड़ ,कटहल,महुआ आदि का वृक्ष लगाकर उसे सुरक्षित ढंग से पल्लवित करने का व्रत ले लें तो लोकहित में बहुत ही सुन्दर कार्य हो जायेगा ,क्योंकि इन वृक्षों में ऑक्सीजन छोड़ने तथा कार्बनिक वायु को शोषित करने की अद्भुत शक्ति होती है।

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