विश्व पर्यावरण दिवस के संदर्भ में देवारण्य देवरिया का अमृत सन्देश-स्वामी राजनारायणाचार्य

विश्व पर्यावरण दिवस के संदर्भ में देवारण्य देवरिया का अमृत सन्देश-स्वामी राजनारायणाचार्य
यदि वृक्षों की हमलोग रक्षा करेंगे तब वृक्ष के द्वारा विश्व की रक्षा होगी।
इस समय भारत की सबसे बड़ी समस्या है ? पर्यावरण की अनदेखी,वृक्षों की अंधाधुंध कटाई,नदियों का प्रदूषण।
जब तक देश की जनता जागरूक नहीं होगी तब तक पर्यावरण की रक्षा नहीं हो पायेगी ।
पर्यावरण की अप्रसन्नता के कारण कभी बरसात की कमी तो कभी अत्यधिक बरसात कभी-कभी असह्य गर्मी,सर्दी,आगज़नी,महामारी की विभीषिका भारत को झेलना पड़ता है ।
पर्यावरण संरक्षण नहीं होने के कारण ही भूगर्भ में जलस्तर समाप्ति के कागार पर होते जा रहा है।
दक्षिण भारतीय लोग दूध के भाव पानी ख़रीदकर पी रहे हैं।
राजधानी दिल्ली में यदि गंगा नहर तथा यमुना का पानी सप्लाई न हो तो लोग पानी बिना मर जायेंगे।
पूर्वांचल का हृदय विप्रप्रसूता देवरिया का ‘ जगद्गुरु श्रीरामानुजाचार्य पीठ’ उत्तरप्रदेश सरकार से विनम्रतापूर्वक आग्रह कर रहा है कि यदि
प्रत्येक पोखरा,तालाब,सार्वजनिक स्थल,डीहबाबा की ज़मीन,सरकारी ज़मीन,अस्पताल,स्कूल,कालेजों में बरगद,पीपल,पाकड़,गूलर,नीम,आम,
पलास,खैर,आँवले आदि के वृक्षारोपण अनिवार्य करने का शासनादेश जारी होता तो निश्चित रूप से कुछ ही दिनों में पर्यावरण विशुद्ध हो जाता।
पृथ्वी को रसहीन करनेवाले ज़हर प्लास्टिक तथा पॉलिथीन है जिससे धरती को बचाने के लिए सभी देशवासियों से देवरिया पीठ अपील कर रहा है कि हम सभी देश/प्रदेश में रहनेवाले लोग सरकार के संकल्प को पूर्ण करने में युद्धस्तर पर सहयोग करें।
उत्तरप्रदेश की सरकार यदि शासनादेश जारी करती कि मास्टर प्लान के तहत प्रत्येक मकान के साथ एक वृक्ष के लिए जगह छोड़ना तथा प्रत्येक कालोनियों में वृक्षारोपण की जगह नीयत अनिवार्यतः आवश्यक होगा तो स्वतः ही पर्यावरण की रक्षा हो जाती।
उत्तरप्रदेश के तेजस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का जन्मदिन पर ‘केक’ न काटकर,लड्डु का प्रदर्शन न करते हुए यदि प्रदेशवासी,प्रत्येक जनपदों के ज़िलाधिकारी,एसपी महोदय समवेतरूप से पचास लाख पीपल,बरगद,पाकड़ का वृक्ष लगाकर उसे सुरक्षित पल्लवित करने का व्रत लेते तो संन्यासी मुख्यमंत्री के लिए सबसे बड़ी बधाई होती,क्योंकि इन तीनों वृक्षों में ऑक्सीजन छोड़ने तथा कार्बनिक वायु को शोषित करने की अद्भुत शक्ति है।
ज्ञातव्य है कि सनातन हिन्दुओं में जन्मदिन के अवसर पर “ईसाई संस्कृति का पोषक केक काटना” हास्यास्पद माना जाता है।