Same -Sex Marriage:केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का किया विरोध, कहा-यह प्रकृति के खिलाफ

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का किया विरोध, कहा-यह प्रकृति के खिलाफ
केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का विरोध किया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि समलैंगिक संबंध और विषमलैंगिक संबंध स्पष्ट रूप से अलग-अलग वर्ग हैं जिन्हें समान नहीं माना जा सकता है।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि समान-लिंग वाले व्यक्तियों द्वारा भागीदारों के रूप में एक साथ रहना, जो अब डिक्रिमिनलाइज़ किया गया है, पति, पत्नी और बच्चों की भारतीय परिवार इकाई अवधारणा के साथ तुलनीय नहीं है। 377 को अपराध की श्रेणी से बाहर करने से समलैंगिक विवाह के मान्यता को बल नहीं मिल सकता।
प्रकृति के खिलाफ
केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को प्रकृति के खिलाफ बताया। साथ ही कहा कि पूरे इतिहास में अलग सेक्स के लोगों की शादी को ही आदर्श के रूप में देखा गया है। उसने इसको राज्य के अस्तित्व के लिए अहम बताया है। केंद्र ने कहा कि सामाजिक महत्व को देखते हुए राज्य केवल महिला और पुरुष की शादी को ही मान्यता देने का इच्छुक है। इसके अलावा किसी अन्य प्रकार की शादी को मान्यता नहीं दी जानी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने 6 जनवरी को, दिल्ली उच्च न्यायालय सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित ऐसी सभी याचिकाओं को क्लब और अपने पास स्थानांतरित कर लिया था। इसने कहा था कि केंद्र की ओर से पेश होने वाले वकील और याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील अरुंधति काटजू एक साथ लिखित सबमिशन, दस्तावेजों और मिसाल का एक सामान्य संकलन तैयार करेंगे, जिस पर सुनवाई के दौरान भरोसा किया जाएगा।