बाल संरक्षण सेवा से संवर रही है परित्यक्त बच्चों की जिंदगी

कभी झाड़ियों में पड़ी थी जिंदगी अब मिला आलीशान आशियाना

अपनों ने ठुकराया तो बाल संरक्षण सेवा ने दी ममता की छांव

मानस बनकर जिसकी हिफाजत हवा करे वह शम्मा क्या बुझे जिसे रोशन खुदा करें

विकास राय-यह पंक्तियां जौनपुर के उन परित्यक्त नवजात शिशुओं पर सटीक बैठती है जो जन्म के बाद से ही अपनी मां की ममता से दूर हो गये। बाल संरक्षण सेवा के माध्यम से ऐसे बच्चों को वैज्ञानिक इंजीनियर फैशन डिजाइनर बनाकर उनका जीवन संवारा जा रहा है। ऐसे बच्चों की संख्या पूर्वांचल की अन्य जनपदों की अपेक्षा जौनपुर में अधिक है।यहां हम बात कर रहे हैं उस परित्यक्त नवजात बालिका के संबंध में जो दिनांक19/ 8/ 2020 को थाना पवारा से 500 मीटर की दूरी पर रायबरेली हाईवे पर पूर्व राजस्व ग्राम पांडेपुर की झाड़ियों में जख्मी हालत में मिली थी। जिसको थाना पवारा के हेड कान्स्टेबल मोनी मौर्या सब इन्सपेक्टर चन्द्रमा पासवान घटना स्थल पर पहुंच कर उसे तत्काल नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सतहरिया में दाखिल कराये।जहां पर प्राथमिक उपचार के बाद जिला महिला चिकित्सालय जौनपुर हेतु स्थानांतरित कर दिया गया।यहां यह भी बताना आवश्यक है की झाडियों में पायी गयी उक्त बालिका के एक पैर का जंगली जानवर सियार के द्वारा पूरा मांस खा लिया गया था।जिसके कारण उसे जिला महिला चिकित्सालय में भर्ती करने की सलाह स्थानीय चिकित्सक द्वारा दी गयी थी।थानाध्यक्ष पवारा द्वारा 1098 चाइल्ड लाइन पर एक काल कर पाथ चाइल्ड लाइन जौनपुर को बच्ची सुपुर्द की गयी।पाथ चाइल्ड लाइन द्वारा बालिका को जिला महिला चिकित्सालय में उचित चिकित्सा हेतु दाखिल कर बाल कल्याण समिति जौनपुर को सूचना दी गयी। बालिका के पैर में काफी मांस निकल जाने के कारण हड्डी दिख रही थी और फंगल इन्फेक्शन की संभावना को देखते हुए जिला महिला चिकित्सालय के विशेषज्ञों द्वारा बालिका को दिनांक 29/8/ 2020 को सरोजिनी नायडू बाल चिकित्सालय प्रयागराज हेतु हस्तानांतरित कर दिया गया। बालिका सरोजिनी नायडू बाल चिकित्सालय में स्वस्थ होने के उपरांत दिनांक 19 /9/2020 को राजकीय बाल गृह शिशु खुल्दाबाद प्रयागराज में बाल कल्याण समिति जौनपुर के आदेश से संरक्षित कराई गई।

कैसे गोंद लिए जाते हैं बच्चे


जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री संतोष कुमार सोनी के द्वारा बताया गया कि भारत सरकार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन गठित केंद्रीय दत्तक ग्रहण अभिकरण जिसे संक्षिप्त में कारा कहते हैं के पोर्टल पर बच्चा लेने की इच्छा रखने वाले कोई भी पुरुष महिला दंपति अभिभावक के रूप में पंजीकरण करवाता है तो उसमें आय से लेकर शादी का प्रमाण पत्र. निवास प्रमाण पत्र.स्वास्थ्य प्रमाणपत्र लगाना होता है। उसके बाद आपको एक रजिस्ट्रेशन नंबर मिलता है। रजिस्ट्रेशन होने के उपरांत 30 दिनों के अंदर जिला बाल संरक्षण इकाई के बाल संरक्षण अधिकारी चंदन राय द्वारा पंजीकृत व्यक्ति के गृह भ्रमण पर जांच रिपोर्ट तैयार की जाती है।जांच रिपोर्ट कारा की वेव साइट पर अपलोड होने केेे बाद आपका बच्चे का इंतजार शुरू होता है।आपका क्रम आने पर व्यक्ति को तीन शिशुओं की फोटो एवम डिटेल वाट्सएप. ईमेल एवम मैसेज के माध्यम से भेजी जाती है। अगर आपको कोई बच्चा पसन्द आ गया जिसे आप लेना चाहते हैं तो आप उस बच्चे को जहां पर बच्चा होगा वहां जाकर बच्चे को देख सकते हैं और पसंद आने पर बच्चे को निर्धारित शुल्क देकर माननीय परिवार न्यायालय के आदेशानुसार बच्चे को गोद ले सकते हैं। 2 साल तक हर महीने बाल संरक्षण सेवा के कार्मिकों द्वारा बच्चे की जानकारी ली जाती है। जनपद जौनपुर में कोई भी संस्था नहीं होने के कारण दत्तक ग्रहण के अभिभावक अपना पंजीकरण राजकीय बाल गृह शिशु प्रयागराज हेतु कराते हैं।दत्तक ग्रहण हेतु इच्छुक व्यक्ति कारा की वेबसाइट http://Cara.nic.inपर भी सम्पर्क कर सकते है।

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