जन्म ईश्वर के हाथ में,मृत्यु समय के हाथ में परंतु कर्म हमारे हाथ में है – फादर पी विक्टर
काशी रत्न फादर पी विक्टर का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया

सेंट जॉन्स स्कूल,सिद्दीकपुर,जौनपुर के प्रधानाचार्य फादर पी विक्टर का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया।फादर पीटर का जन्म 24 जनवरी 1967 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी में नायर कोयल नामक स्थान पर एक धर्मनिष्ठ कैथोलिक परिवार में हुआ था।एक तरफ माता जी श्रीमती विंसेंट मेरी एक धर्मपरायण महिला थीं वहीं पिता श्री ए पीटर भारतीय सेना में अधिकारी थे।

माता की तरफ से धर्म के प्रति रुचि एवं पिता की तरफ से अनुशासन एवं देशभक्ति की भावना बाल्यावस्था से ही जाग्रत हो गई थी इसी कारण आपने अल्पायु में ही गृहत्याग कर संन्यास ग्रहण कर लिया।

संन्यास ग्रहण के साथ ही 1982 में आप धर्मनगरी काशी में आ गए और अपना जीवन धर्म को समर्पित कर दिया।आप सेंटजॉन्स स्कूल,डीएलडब्ल्यू,सेंट थॉमस इंटर कॉलेज शाहगंज के उपप्रधानाचार्य के रूप में शिक्षा जगत में पदार्पण किया।

इसके बाद नवसाधना कला केंद्र के डॉयरेक्टर की भूमिका बखूबी निभाई।आपने सेंट जॉन्स स्कूल, लोहता,वाराणसी एवं हार्टमनपुर इंटर कॉलेज गाजीपुर के प्रधानाचार्य के रूप में शिक्षा की अलख जगाई।

वर्तमान में आप सेंटजॉन्स स्कूल,सिद्दीकपुर, जौनपुर के प्रधानाचार्य के रूप में अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं।इसके अतिरिक्त आप सेंट मेरीज अस्पताल के डायरेक्टर की भी भूमिका निभा चुके हैं।

पर्यावरण प्रेम के कारण आप को ग्रीन फादर के नाम से भी जाना जाता है।आपने गाजीपुर, वाराणसी एवं जौनपुर में लाखों पौधों को लगवाया।

फादर के जन्मदिन के अवसर पर विद्यालय विशेष प्रार्थना का आयोजन किया गया जिसमें विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं छात्र-छात्राओं ने फादर के दीर्घायुष्य एवं उत्तम स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।

नन्हे-मुन्नों ने सुंदर समूह नृत्य किया।बच्चे बच्चियों ने सुमधुर स्वर में जन्मदिन-गान गाया।कक्षा नवीं का छात्र श्रेयांश यादव ने फादर के जीवनवृत्त पर प्रकाश डाला।अंत में फादर ने केक काटा और जन्मदिन की बधाई देने के लिए आभार प्रकट किया।

अपने उद्बोधन में फादर ने कहा कि जन्म ईश्वर के हाथ में,मृत्यु समय के हाथ में है परंतु कर्म हमारे हाथ में है।कर्म के द्वारा हम जीवन के उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं।अकाल वर्षा से अन्न नष्ट हो जाता है पर अकाल संस्कार नष्ट होने से मानवता नष्ट हो जाती है।

अतः जीवन तभी सार्थक है जब मानवता की रक्षा हो सके।
कार्यक्रम के अंत में कक्षा ग्यारवीं की प्रियांजलि यादव ने आभार प्रकट किया।कक्षा नवीं की कुबा एवं काव्या ने कुशल मंच संचालन किया।
