June 20, 2025

जब कोई प्रेरक से प्रेरित होता है तो प्रेरित व्यक्ति में भी उसके गुण आ जाते हैं-प्रोफेसर हरिकेश सिंह

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जब कोई प्रेरक से प्रेरित होता है तो प्रेरित व्यक्ति में भी उसके गुण आ जाते हैं-प्रोफेसर हरिकेश सिंह

भारतीय ज्ञान परंपरा का उदय गांव और नगरों से दूर प्रकृति के एकांत में हुआ था-प्रो0आनंद कुमार सिंह

डॉ राम मनोहर लोहिया डिग्री कॉलेज अध्यात्मपुरम गाजीपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना का एक दिवसीय सामान्य शिविर का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जयप्रकाश विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह तथा विशिष्ट अतिथि सम्माननीय कविवर यशवंत सिंह यश उपस्थित थे। शिविर में सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेज के मुख्य प्रबंध निदेशक प्रो आनंद कुमार सिंह ने अपने माननीय अतिथियों से विद्यार्थियों का परिचय कराया तथा शिक्षा की महत्ता को लेकर अपना उद्बोधन भी प्रदान किया।

अपने वक्तव्य में डा आनंद सिंह ने कहा कि अध्यात्मपुरम का परिसर प्राचीन भारत की ज्ञान परंपरा को सृजित करने वाली आरण्यक संस्कृति का ही नया विस्तार है। प्राचीन काल में भारतीय ज्ञान परंपरा का उदय गांव और नगरों से दूर प्रकृति के एकांत में हुआ था। उस ज्ञान के कारण ही भारत को विश्व गुरु कहा जाता है। रचनात्मक मस्तिष्क के निर्माण के लिए, जीवन की खोज के लिए और विस्तृत चिंतन के लिए असीमित मस्तिष्क करुणावान हृदय और सबल शरीर की बहुत आवश्यकता है।

 


वे सभी लोग देशद्रोही हैं जो गरीब जनता के पैसे से पढ़ लेते है फिर उस गरीब की ओर नहीं देखतेl
भारतीय शिक्षा संस्कृति का आरंभ ग्रामीण इलाकों से शुरू हुआ इसे ही हम अरणयक करते हैं
इसी आरण्यक से ही ग्रंथों को लिखा गया
गांव के बच्चों में वास्तविक प्रतिभा मिलती है जो जमीन से आसमान तक पहुंचते है
कोई भी रचना प्राकृतिक के शांत वातावरण में हो सकती हैं इसलिए ऋषि मनुष्य ने गांव के एकांत वातावरण को चुना।
स्वयं राष्ट्रीय सेवा योजना के पितृपुरुष स्वामी विवेकानंद ने भी युवाओं से यही अपील की थी। मुख्य अतिथि प्रोफेसर हरिकेश सिंह ने अपने संबोधन में छात्र छात्राओं को प्रेरित करते हुए शिक्षा के महान आदर्शोंं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस पावन परिसर में सत्यदेव सिंह जी की प्रेरणा से जो शैक्षणिक चेतना का विस्तार हो रहा है वह अभिनंदनीय है। छात्र-छात्राओं को इस परिसर की शांति और शुचिता का लाभ उठाते हुए अपने व्यक्तित्व का विकास करना चाहिए।

जब कोई प्रेरक से प्रेरित होता है तो प्रेरित व्यक्ति में भी उसके गुण आ जाते हैं।
मन सरसों की पोटली की तरह है जो एक बार बिखर गया तो वह फिर इकट्ठा नहीं हो सकता
आज मैं आपके संस्थाओं में एक ही प्रवेश देखा जिसमें आप नीचे बैठे हैं चिरंजीवी भव: जमीन का आदर करना सीखें क्योंकि यह हमारी मां है हम मां की गोद में बैठे हैं।
विशिष्ट अतिथि कविवर यशवंत सिंह ने इस अवसर पर एक लंबी कविता का पाठ किया। कविता में भारत के यथार्थ और आदर्श की सुंदर व्यंजना को उन्होंने अत्यंत ओजस्वी स्वर में प्रस्तुत किया। महाकवि श्याम नारायण पांडे की महान कृति हल्दीघाटी के उन अंशों का भी पाठ किया जिसमें महाराणा प्रताप की सेना हल्दीघाटी में युद्ध के लिए केसरिया झंडा लेकर प्रस्थान कर रही थी। वीर रस में पगी हुई इस कविता को सुनकर विद्यार्थी बहुत प्रभावित हुए। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ विजेंद्र सिंह ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी शिक्षकों के साथ ही डायरेक्टर प्रमोद सिंह भी उपस्थित थे।

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