बिना श्रीराम के राष्ट्र, संस्कृति व जीवन सुरक्षित नहीं हो सकता -शान्तनु जी महाराज

बिना श्रीराम के राष्ट्र, संस्कृति व जीवन सुरक्षित नहीं हो सकता -शान्तनु जी महाराज
गाजीपुर जनपद के दिलदार नगर में रामायणम परिवार की तरफ से नगर के राधाकृष्ण गुप्ता आदर्श इंटर कालेज के खेल मैदान में आयोजित छः दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा में ठंढ एवं गलन के बावजूद आस्था भारी पड़ रही है।कथा श्रवण करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है।
राष्ट्रीय कथा वाचक शांतनु महाराज ने अपने मुखारबिंद से श्रीराम कथा रूपी अमृत वर्षा करते हुए राम सीता विवाह प्रसंग की कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा की बिना श्रीराम के राष्ट्र संस्कृति व जीवन सुरक्षित नहीं हो सकता क्योंकि कण कण व जन जन में राम हैं। उन्होंने कहा की शरीर अंदर व बाहर दोनों से पवित्र होना चाहिए।नेत्र सभी इन्द्रियों का प्रतिनिधित्व करता है। युवा व किशोरावस्था में जो संभल गया वह कुल का सम्मान बढ़ाता है और जो बिगड़ गया वह गड्ढे में गिर जाता है।राजा जनक ने सीता के विवाह के लिए स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी देश के राजा और महाराजाओं को निमंत्रण पत्र भेजा। स्वयंवर में उपस्थित राजाओं ने एक एक कर धनुष उठाने की कोशिश की। लेकिन सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्रीराम ने धनुष उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। महाराज जी ने विवाह प्रसंग एवं सीता बिदाई के कारूणिक प्रसंग को सुनाकर उपस्थित श्रोताओं के आंखों को अश्रृपूरित कर दिया।