June 19, 2025

सत्य की ही विजय होती है,असत्य की नहीं- जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राजनारायणाचार्य देवारण्य

IMG-20221209-WA0037

सत्य की ही विजय होती है,असत्य की नहीं-
जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राजनारायणाचार्य
देवारण्य

सत्यमेव जयति नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयान:।
येनाक्रमन्त्यृषयो ह्याप्तकामा यत्र तत्सत्यस्य परमं निधानम्॥{मुण्डकोपनिषद्}
सत्य की ही विजय होती है,असत्य की नहीं।
ज्ञातव्य है कि देवयानमार्ग
{श्रीवैकुण्ठ का मार्ग} सत्य से पूर्ण है,पूर्णकाम ऋषिलोग उसी मार्ग से जाते हैं।
श्रीवाराह पुराण के अनुसार देवरिया ‘विप्रप्रसूता भूमि’है,श्रीरामायण के अनुसार ‘यज्ञभूमि’ है जिसका क्षेत्रफल श्रीअयोध्या सरयु के उत्तर तट से गंगा सरयु संगम के उत्तर तट तक है।
सनातन वैदिक सरयुपारीण ब्राह्मणों की यही पावन जन्मभूमि है।
ब्राह्मणों को भूसुर अर्थात् पृथ्वी का देवता शास्त्रों में बताया गया है।
ब्राह्मणों का निवास प्रायः किसी पावन नदी के तटवर्ती जंगलों में हुआ करता था।
सरयुतटवर्ती उपवन में ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र में अवस्थित देवरिया वास्तव में देवारण्य ही है।
देवरिया जनपद को देवार्य भी कहना उचित है, क्योंकि ये भूमि देवताओं एवं ऋषिकल्प पंक्तिपावन ब्राह्मणआर्यों की जन्मभूमि है।
“ देवार्यायां ऋतुशरनभो ~~
देवरिया में सुशिक्षित सभ्य लोग रहते हैं।
ध्यातव्य है कि सभ्य,सुशिक्षित,सुशिष्ट,समवर्ती लोगों को भी ‘देव’ कहा जाता है,इसलिए भी देवरिया ‘देवारण्य’है।
मुख्यार्थ,वाच्यार्थ तथा लक्ष्यार्थ समझने से भ्रम मिट जायेगा।
देवरिया वास्तव में देवारण्य है या नहीं; ये तर्क का विषय नहीं है ।
कोई भी व्यक्ति देवरिया को ‘मदीना’ न कहकर यदि देवारण्य,देवार्य या देवभूमि कह रहा है तो आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

About Post Author