परोपकार अच्छी बात, लेकिन धर्म परिवर्तन न हो मकसद; सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

परोपकार अच्छी बात, लेकिन धर्म परिवर्तन न हो मकसद; सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
चैरिटी अच्छी बात है, लेकिन यह लोगों को ललचाकर उनका धर्म परिवर्तन करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को की। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से 12 दिसंबर तक उन राज्यों का ब्यौरा भी मांगा है, जहां एंटी-कन्वर्जन लॉ होते हुए कन्वर्जन की घटनाएं हुई हैं।
जस्टिस एमआर शाह और सीटी रविकुमार की बेंच ने इस मामले में दाखिल पीआईएल पर सुनवाई करते हुए की। यह पीआईएल दिल्ली भाजपा के नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की है।
शीर्ष कोर्ट ने देश की सुरक्षा के लिए बताया था खतरा
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपनी टिप्पणी में कहा कि चैरिटी स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन इसके पीछे की मंशा भी मायने रखती है। हर किसी को अपना धर्म चुनने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए उन्हें लालच नहीं दिया जाना चाहिए। अगर आप किसी समुदाय की मदद करना चाहते हैं तो स्पष्ट तरीके से चैरिटी कर सकते हैं। अश्विनी उपाध्याय की याचिका में दावा किया गया था कि कई जगहों पर डर, धमकी और लालच के आधार पर बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इसमें यह भी कहा गया था कि यह व्यक्ति विशेष की स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन है। इससे पहले 14 नवंबर को शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि अगर वास्तव में ऐसा हो रहा है तो फिर यह देश की सुरक्षा के लिए खतरा है।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने दिया था यह जवाब
केंद्र सरकार ने इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया था, जिसमें उसने बताया था कि नौ प्रदेशों में एंटी-कन्वर्जन लॉ लागू हैं। इसके बाद कोर्ट केंद्र सरकार को इन नियमों और अगर किसी राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन हुआ है तो उससे जुड़ी डिटेल जुटाने का निर्देश दिया था। केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया था कि उड़ीसा, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा में एंटी-कन्वर्जन लॉ लागू हैं। केंद्र सरकार द्वारा बीते महीने दायर एफिडेविट में बताया था कि लोगों के अधिकारों को बचाने के लिए कानूनी उपाय किए जा रहे हैं।