June 19, 2025

धान की बालियों से सजा माता अन्नपूर्णा का दरबार

 

 

वाराणसी -दुनिया को अन्न प्रदान करने वाली माता अन्नपूर्णा का दरबार मंगलवार को धान की बालियों से भव्य रूप से सजाया गया। मंदिर के गर्भगृह से लेकर मंडप और पूरे परिसर को करीब 40 क्विंटल धान से बहुत ही आकर्षण ढंग से सजाया गया।

धान से सजे माता अन्नपूर्णा के अद्भत श्रृंगार के दर्शन कर भक्त निहाल हो गए। हर एक भक्त के मन में इस अद्भुत झांकी की तस्‍वीर मन में समा गई। बता दें कि माता अन्नपूर्णा के मंदिर को धान की बालियों से सजाने की परंपरा सदियों पुरानी है।

परंपरानुसार मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी पर पूर्वांचल के किसानों ने माता का अपनी धान की पहली फसल अर्पित की, जिसके बाद बुधवार 30 नवंबर को धान की बालियां प्रसाद स्वरूप सुबह से रात तक वितरित की जायेगी।

मान्यता है की पूर्वांचल भर के किसान प्रसाद स्वरूप मिले धान को घर ले जाकर बीज-भंडार में रखते हैं ताकि इसकी खेतों में बोआई कर भगवत की कृपा से अन्न-धन के रूप में खुशहाली का प्रसाद पाया जा सके. अन्नपूर्णा मंदिर में मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी से 17 दिवसीय व्रत की परंपरा है। इसका श्रीगणेश 13 नवंबर को 7 गांठ का धागा बांह में धारण कर किया गया था, जिसका उद्यापन भी गया।

मंदिर के महंत ने बताया कि माता के दरबार को अन्न से सजाने की परम्परा काफी पुरानी है और आज भी निरंतर यहां इस परम्परा का निर्वहन होता चला आ रहा है। उन्होंने बताया कि 40 सालों से वो खुद इसके साक्षी हैं. वैसे तो पूरे पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों से धान की बालियां आती हैं, लेकिन इसमें सबसे ज्यादा धान वाराणसी सटे सोनभद्र जिले से किसान ले आते हैं।

माता अन्नपूर्णा के इस अद्भुत झांकी को निहारने के लिए दूर दूर से हजारों भक्त यहां आते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस प्रसाद से भक्तों के घर कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती है। यही वजह है कि यहां प्रसाद के लिए भक्तों की भारी भीड़ भी होती है।

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