June 19, 2025

‌अपनी संस्कृति और धर्म को जीवंत रखने के लिए हमें आगे आना होगा-मोहन भागवत

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‌अपनी संस्कृति और धर्म को जीवंत रखने के लिए हमें आगे आना होगा-मोहन भागवत

बक्सर में आयोजित राम विवाह उत्सव में शामिल हुए आरएसएस प्रमुख

बक्सर- भारत विश्व की आत्मा है। जिस तरह आत्मा के निकल जाने से शरीर बेजान हो जाता है। उसी तरह हमारा देश है। यह पृथ्वी की आत्मा है। यहां मिट्टी से पैदा हुई मां सीता ही भारत माता हैं। वह संस्कृति ही हमारी शक्ति है। त्रेता युग में भगवान राम का विवाह हुआ था। लेकिन, आज भी पूरे भारत वर्ष में उनका विवाह होता है। यह हमारी संस्कृति की देन है। भगवान राम को जब वनवास हुआ तो स्वयं महाराज दशरथ ने कहा तुम इस वचन को तोड़ दो, लोग भी कह रहे थे। यह एक मां द्वारा अपने पुत्र प्रेम में लिया गया वचन है। हम इसे अनदेखा करते हैं, आप यहीं रहें।

लेकिन, भगवान राम ने वनवास जाना पसंद किया। यही है हमारी संस्कृति। और वही हमारी ताकत है। क्योंकि हमारे नायकों ने सिर्फ उपदेश नहीं दिए। सच्चाई के रास्ते पर चलकर एक प्रतिमान स्थापित किया। तब आज भी राम राज्य की चर्चा होती है। पक्षी तभी उड़ता है, जब उसके दो पर होते हैं। उसी तरह ध्यान और कर्म हमारी शक्ति हैं। तभी पक्षी ऊंचाई पर जाएगा।


राम-जानकी मंदिर में दर्शन करने पहुंचे मोहन भागवत

यह बातें शनिवार को राष्ट्रीय स्वयं संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बक्सर प्रवास के दौरान कहीं। वे नया बाजार में चल रहे सीताराम विवाह महोत्सव में शामिल होने पहुंचे थे। अपने 35 मिनट के भाषण में उन्होंने सिर्फ और सिर्फ कर्म और धर्म पर व्याख्यान दिया।

और लोगों को यह संदेश देने का प्रयास किया। हमारी संस्कृति ही हमारी शक्ति है और धर्म उसकी ताकत है। संत उसको प्रकाशित करते हैं।यह जीवन आता जाता रहेगा। लेकिन, अपनी संस्कृति और धर्म को जीवंत रखने के लिए हमें आगे आना होगा।

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