*कामेश्वर धाम पर देव दीपावली सम्पन्न*

*कामेश्वर धाम पर देव दीपावली सम्पन्न*
भगवान शिव की साधना स्थली एवं काम दहन भूमि कामेश्वर धाम कारों में सोमवार को यैसा प्रतीत हो रहा था जैसे आसमान के सभी तारे कामेश्वर धाम में जमीन पर उतर पड़े हो।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी देव दीपावली के दिन क्षेत्र के शिव भक्त समय से बाबा कामेश्वर धाम पर अपनी हाजिरी लगाने के पश्चात कामेश्वर धाम के ज़र्रे ज़र्रे को दीपक की रोशनी से आलोकित करने में लग गये।
भगवान भास्कर के अस्ताचल के समय पूरा कामेश्वर धाम एवं पोखरा दीपक की रोशनी से प्रकाशित हो गया।लोगों ने जगह जगह बनाये गये रंगोली को जब दीपक के माध्यम से सजा कर उसे क्रम से जला दिया तो लगा की समूचा आसमान अपने समस्त सितारों को समेट कर कामेश्वर धाम एवं वहां उपस्थित पोखरे पर उतर आया हो।
देर रात तक कामेश्वर धाम पर दर्शनार्थियों की आवाजाही लगी रही। कामेश्वर धाम कारों के प्रबन्धक रमाशंकर दास ने उपस्थित लोगों को प्रसाद एवं आशीर्वाद प्रदान किया।
कामेश्वर धाम के प्रबन्धक रमाशंकर दास ने बताया की यह कामेश्वर धाम कारो वहीं पौराणिक स्थल है जहां समाधिस्थ भगवान शिव को जगाने के प्रयास में भोलेनाथ के त्रिनेत्र से भस्म होना पड़ा। त्रेतायुग में महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान राम एवं लक्ष्मण अयोध्या से बक्सर जाते समय विश्राम किये थे।
पूर्व में अनेकों ॠषि मुनियों की साधना स्थली रही है कारो की भूमि।आज भी वह आम का वृक्ष कामेश्वर धाम में प्रमाण के रूप में विराजमान हैं।जो खुद कामदेव के भस्म होने के आंशिक रूप से समय जला था।कारण कामदेव इसी आम के पत्तों के पीछे छिप कर समाधिस्थ भगवान शिव के हृदय पर अपने पुष्प धनुष से हर्षण,प्रहस्टचेत्ता, सम्मोहन,प्राहिणो एवं मोहिनी,पांच वाण का प्रहार किया था।