गुलामी का मर्म उस पक्षी से पूछो जो पिजडे में बंद हो-श्रीकांत यादव

विकास राय गाजीपुर-स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर जन जागृति फाउंडेशन के अध्यक्ष श्रीकांत यादव ने कहा की गुलामी का मर्म उस पक्षी से पूछो जो पिजङे में बंद हो.आजादी का असली मायने हथकङी से बंधा कैदी अच्छी तरह से बता सकता है। 1947 से पहले हमारे पूर्वजों का यही हाल था, बिना वजह जेलों मे ठूस दिए जाते थे , जरा जरा सी गलतियों पर कोङो से पीटा जाता था, खाने के नाम पर उन्हें रूखा सूखा भोजन दिया जाता था और जानवरों की तरह उनसे काम कराया जाता था, मुगलों से लेकर अंग्रेजो तक सबने हमें लुटा, सोने की चिङिया कहे जाने वाले हमारे देश को कंगाल बना दिया. हमारी विरासतों, संस्कृतियों को तहस नहस किया गया, जलते शिक्षा के महान केंद्र तक्षसिला और नालंदा की कई दिन तक उठती लपटे भयावहता की कहानी साफ साफ कहती है।
बहन बेटियों की इज्ज़त महफूज नही थी, डरे हुए चेहरे किसी तरह जिंदगी के दिन काट रहे थे जिसने भी थोडा भी सर उठाने की कोशिश की उसका सर धङ से अलग कर दिया गया, उन भयावह मंजरो को पढकर ही रूह कांप जाती है यह सोचकर आंसू निकल जाते है कि हमारे पूर्वज कैसे झेलते होगे आज जो हम लोग शान, स्वाभिमान की जिंदगी जी रहे है इसके पीछे हमारे बहुत से शहीदो की कुर्बानिया है हमारी इस आजादी के लिए मात्र बाईस साल का नौजवान चौरी चौरा कांड का नायक भगवान यादव फांसी चढ जाता है, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, मंगल पांडे जैसे अनगिनत शेरदिल नौजवान अपनी जान न्यौछावर कर दिए तब जाकर यह दिन देखने को मिला है।
श्रीकांत यादव ने कहा की इस आजादी के लिए हमारे पूर्वजों ने बङी कीमत चुकाई है उनकी शहादत को कभी जाया नहीं होने देना है।

About Post Author