पंकज राय ने सत्यदेव ग्रुप्स आफ कालेजेज के प्रबंध निदेशक डाक्टर सानन्द सिंह को भेंट किया गिलोय का पौधा
गाजीपुर जनपद के सत्यदेव ग्रुप्स आफ कालेजेज गाधिपुरम बोरसिया के प्रबंध निदेशक डाक्टर सानन्द सिंह को गिलोय का पौधा भेंट किया।इस अवसर पर डाक्टर सानन्द सिंह ने बताया की कालेज परिसर के हर नीम के पेंड के पास गिलोय का पौधा रोपण किया जा रहा है।पूरे परिसर में सैकडों की संख्या में गिलोय के पौधे लगाए जा रहे है।डाक्टर सानन्द सिंह ने आयुष मंत्रालय के अंतर्गत एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रोफेसर यामिनी भूषण त्रिपाठी समन्वयक के बाराणसी. मिर्जापुर. आजमगढ़ मंडल के सभी जनपद के साथ लखनऊ एवं गोरखपुर जनपद के हर गांव में नि:शुल्क गिलोय के पौधावितरण कार्यक्रम की सराहना की।गाजीपुर जनपद के मिशन गिलोय के समन्वयक सूर्य कुमार सिंह के सराहनीय प्रयास से इस समय पूरे जनपद में गिलोय का वितरण किया जा रहा है।डाक्टर सानन्द सिंह ने कहा की गिलोय का आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसके खास गुणों के कारण इसे अमृत के समान समझा जाता है और इसी कारण इसे अमृता भी कहा जाता है। प्राचीन काल से ही इन पत्तियों का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक दवाइयों में एक खास तत्व के रुप में किया जाता है।विशेष रूप से गिलोय केवल भारत में ही पाया जाता है।
गिलोय की पत्तियों और तनों से सत्व निकालकर इस्तेमाल में लाया जाता है। गिलोय को आयुर्वेद में गर्म तासीर का माना जाता है। यह तैलीय होने के साथ साथ स्वाद में कडवा और हल्की झनझनाहट लाने वाला होता है।
गिलोय के गुणों की संख्या काफी बड़ी है। इसमें सूजन कम करने, शुगर को नियंत्रित करने, गठिया रोग से लड़ने के अलावा शरीर शोधन के भी गुण होते हैं। गिलोय के इस्तेमाल से सांस संबंधी रोग जैसे दमा और खांसी में फायदा होता है। इसे नीम और आंवला के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी रोग जैसे एग्जिमा और सोराइसिस दूर किए जा सकते हैं। इसे खून की कमी, पीलिया और कुष्ठ रोगों के इलाज में भी कारगर माना जाता है।
डाक्टर सानन्द सिंह ने बताया की सूजन कम करने के गुण के कारण, यह गठिया और आर्थेराइटिस से बचाव में अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय के पाउडर को सौंठ की समान मात्रा और गुगुल के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से इन बीमारियों में काफी लाभ मिलता है। इसी प्रकार अगर ताजी पत्तियां या तना उपलब्ध हों तो इनका ज्यूस पीने से भी आराम होता है।
आयुर्वेद के हिसाब से गिलोय रसायन यानी ताजगी लाने वाले तत्व के रुप में कार्य करता है। इससे इम्यूनिटी सिस्टम में सुधार आता है और शरीर में अतिआवश्यक सफेद सेल्स की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। यह शरीर के भीतर सफाई करके लीवर और किडनी के कार्य को सुचारु बनाता है। यह शरीर को बैक्टिरिया जनित रोगों से सुरक्षित रखता है। इसका उपयोग सेक्स संबंधी रोगों के इलाज में भी किया जाता है।
लंबे समय से चलने वाले बुखार के इलाज में गिलोय काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाता है जिससे यह डेंगू तथा स्वाइन फ्लू के निदान में बहुत कारगर है। इसके दैनिक इस्तेमाल से मलेरिया से बचा जा सकता है। गिलोय के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल करना चाहिए।
शरीर में पाचनतंत्र को सुधारने में गिलोय काफी मददगार होता है। गिलोय के चूर्ण को आंवला चूर्ण या मुरब्बे के साथ खाने से गैस में फायदा होता है। गिलोय के ज्यूस को छाछ के साथ मिलाकर पीने से अपाचन की समस्या दूर होती है।
गिलोय में शरीर में शुगर और लिपिड के स्तर को कम करने का खास गुण होता है। इसके इस गुण के कारण यह डायबीटिज टाइप 2 के उपचार में बहुत कारगर है।
गिलोय एडाप्टोजेनिक हर्ब है अत:मानसिक दवाब और चिंता को दूर करने के लिए उपयोग अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय चूर्ण को अश्वगंधा और शतावरी के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। इसमें याददाश्त बढ़ाने का गुण होता है। यह शरीर और दिमाग पर उम्र बढ़ने के प्रभाव की गति को कम करता है।
डाक्टर सानन्द सिंह ने सभी से अनुरोध किया है की सभी लोग अपने घर बाग बगीचे में गिलोय का पौधा रोपण करें एवं नियमित गिलोय का सेवन करें।इस अवसर पर अमित सिंह रघुवंशी. दिग्विजय उपाध्याय काउंसलर सत्यदेव ग्रुप्स आफ कालेजेज गाजीपुर. समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।@विकास राय
