छठ पर्व प्रकृति के साथ ही प्रकृति के नियंत्रक भगवान् नारायण की उपासना का पर्व है। जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राजनारायणाचार्य

छठ पर्व प्रकृति के साथ ही प्रकृति के नियंत्रक भगवान् नारायण की उपासना का पर्व है।
जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राजनारायणाचार्य
सनातन धर्म को माननेवाले हिन्दू छठ पर्व में भगवान् सूर्य की उपासना करते हैं,।
छठपर्व प्रकृति के साथ ही प्रकृति के नियंत्रक भगवान् नारायण की उपासना का पर्व है।
सूर्य को ग्रह मानना बड़ी भूल है,क्योंकि सूर्य तो अनुग्रह हैं,साक्षात् श्रीनारायण ही हैं।
यजुर्वेद ७।४२ वाँ मन्त्र में “सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च” आया है।
सूर्य जगत् की आत्मा हैं।
इस पर्व में छठी माई की पूजा नहीं होती है, क्योंकि
बच्चों के जन्म होने पर छठवें दिन षष्ठी देवी की पूजा की जाती है ।
षष्ठी तिथि स्त्रीलिंग होने के कारण ही आजकल लोग छठी माई कहने लगे हैं,वास्तव में ये सूर्य षष्ठीव्रत सूर्य की उपासना का पर्व है जिसमें अस्ताचलगामी सूर्य तथा उदित बालपतंग सूर्य की उपासना की जाती है ।इस उपासना का संदेश है कि अस्त से उदय की ओर बढ़ो।
अन्धकार से प्रकाश की ओर बढ़ो ।
असत्य से सत्य की ओर बढ़ो।
मृत्यु से अमृत की ओर बढ़ो।
सूर्य की तिथि- सप्तमी है।
छठ का व्रत शीघ्र ही मनोकामना पूर्ण करनेवाला व्रत है।