June 24, 2025

शरद पूर्णिमा का महत्व

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शरद पूर्णिमा का महत्व


शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, कौमुदी व्रत, जैसे नामों से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए देश के कई हिस्सों में इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। इस तिथि को धन दायक माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर आती है। चंद्रमा इस दिन अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत का बरसात होती है।

शरद पूर्णिमा की कथा
हर महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि पर व्रत करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक साहूकार की दो बेटियां महीने में आने वाली हर पूर्णिमा को व्रत किया करती थी। इन दोनों बेटियों में बड़ी बेटी पूर्णिमा का व्रत पूरे विधि-विधान से किया करती थी। जबकि छोटी बेटी व्रत तो करती थी लेकिन नियमों में उस तरह से पालन नहीं करती थी। नियमों को आडंबर मानकर उनकी अनदेखी करती थी।

जैसी ही दोनों बेटी बड़ी हुई साहूकार ने दोनों दोनों बेटियों का विवाह कर दिया। बड़ी बेटी के घर समय पर स्वस्थ संतान का जन्म हुआ। छोटी बेटी को भी संतान हुई लेकिन, उसकी संतान जन्म लेती ही दम तोड़ देती थी। जब उसके साथ ऐसा दो से तीन बार हो गया तो उसने एक ब्राह्मण को बुलाकर अपनी पूरी व्यथा सुनाई साथ ही इसका उपाय बताने के लिए भी कहा। उसकी सारी बात सुनकर और कुछ प्रश्न पूछने के बाद ब्राह्मण ने उससे कहा कि तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती हो, इस कारण तुम्हे व्रत का पूरा फल नहीं मिल रहा है और तुम्हे अधूरे व्रत का दोष लगता है। ब्राह्मण की बात सुनकर छोटी बेटी ने पूर्णिमा व्रत पूरे विधि-विधान से करने का निर्णय लिया।

लेकिन पूर्णिमा आने से पहले ही उसने एक बेटे को जन्म दिया। जन्म लेते ही बेटे की मृत्यु हो गई। इस पर उसने अपने बेटे शव को एक पीढ़े पर रख दिया और ऊपर से एक कपड़ा इस तरह ढक दिया कि किसी को पता न चले। फिर उसने अपनी बड़ी बहन को बुलाया और बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया। जैसे ही बड़ी बहन उस पीढ़े पर बैठने लगी, उसके लहंगे की किनारी बच्चे को छू गई और वह जीवित होकर तुरंत रोने लगा। इस पर बड़ी बहन पहले तो डर गई और फिर छोटी बहन पर क्रोधित होकर उसे डांटने लगी कि क्या तुम मुझ पर बच्चे की हत्या का दोष और कलंक लगाना चाहती हो! मेरे बैठने से यह बच्चा मर जाता तो?


इस पर छोटी बहन ने उत्तर दिया, यह बच्चा मरा हुआ तो पहले से ही था। दीदी, तुम्हारे तप और स्पर्श के कारण तो यह जीवित हो गया है। पूर्णिमा के दिन जो तुम व्रत और तप किया करती हो, उसके कारण तुम दिव्य तेज से परिपूर्ण और पवित्र हो गई हो। अब मैं भी तुम्हारी ही तरह व्रत और पूजन करूंगी। इसके बाद उसने पूर्णिमा व्रत विधि विधान से किया और इस व्रत के महत्व और फल का पूरे नगर में प्रचार किया। जिस प्रकार मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु ने साहूकार की बड़ी बेटी की कामना पूर्ण कर सौभाग्य प्रदान किया, वैसे ही हम पर भी कृपा करें।

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