पुण्यतिथि विशेष : अमेरिका में पढ़ाई के लिए जयप्रकाश नारायण ने बर्तन धोए और खेतों में काम किया ,पढाई के लिए 9 साल की उम्र में छोड़ा घर

पुण्यतिथि विशेष : अमेरिका में पढ़ाई के लिए जयप्रकाश नारायण ने बर्तन धोए और खेतों में काम किया ,पढाई के लिए 9 साल की उम्र में छोड़ा घर
जयप्रकाश नारायण (Jayaprakash Narayan) की आज पुण्यतिथि है. 43 साल पहले पटना (Patna) में उनका निधन हुआ. वो भारतीय राजनीति के ऐसे प्रखर नेता थे जो कभी किसी पद के इच्छुक नहीं रहे. अगर वो चाहते तो नेहरू के बाद प्रधानमंत्री बन सकते थे लेकिन वो हमेशा अलग तरह से चलते रहे
आज जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि है. 08 अक्टूबर 1979 को लंबी बीमारी के बाद पटना में उनका निधन हो गया था. तब वो जनता पार्टी की सरकार शासन में थी, जो उनके लंबे संघर्ष के बाद सत्ता में आई थी. उनकी संपूर्ण क्रांति के नारे ने पूरे देश को झकझोर दिया था. खुद्दार वो इतने थे कि कभी किसी के आगे झुकना पसंद नहीं किया. जब उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गए तो घर से पैसा मंगाने की बजाए वहीं तमाम तरह के काम करके अपना खर्च निकाला.
जयप्रकाश नारायण ने 9 साल की उम्र में गांव छोड़ दिया. आगे की पढ़ाई के लिए पटना चले गए. वहां उन्होंने कॉलेजियट स्कूल में 7वीं क्लास में उन्होंने दाखिला लिया. 1920 में जब वो केवल 18 साल के थे, तब उनकी शादी 14 साल की प्रभादेवी के साथ हो गई.
एक महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राजनेता के तौर पर लोगों के प्रेरणास्रोत जेपी ने सत्तर के दशक में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व किया था. उन्होंने विद्यार्थियों को साथ लेकर ऐसा आंदोलन खड़ा किया कि आखिरकार 1977 में एकजुट विपक्ष के सामने इंदिरा गांधी को करारी पराजय का सामना करना पड़ा.
1960 के दशक के अंतिम भाग में वे राजनीति में पुनः सक्रिय रहे। 1974 में किसानों के बिहार आन्दोलन में उन्होंने तत्कालीन राज्य सरकार से इस्तीफे की मांग की।
वे इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध थे। गिरते स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन किया। उनके नेतृत्व में पीपुल्स फ्रंट ने गुजरात राज्य का चुनाव जीता। 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की जिसके अन्तर्गत जे॰ पी॰ सहित ६०० से भी अधिक विरोधी नेताओं को बन्दी बनाया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गयी। जेल में जे॰ पी॰ की तबीयत और भी खराब हुई। 7 महीने बाद उनको मुक्त कर दिया गया। 1977 जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोध पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया।
जयप्रकाश नारायण का निधन उनके निवास स्थान पटना में 8 अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी और मधुमेह के कारण हुआ। उनके सम्मान में तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने ७ दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी, उनके सम्मान में कई हजार लोग उनकी शोक यात्रा में शामिल हुए।