June 25, 2025

मां दुर्गा के पास अलग-अलग शस्त्र हैं, जिन्हें देवताओं द्वारा प्रदान किया गया था.

असुरों के खिलाफ छिड़े संग्राम में हर अस्त्र-शस्त्र की अलग भूमिका रही थी.

रक्तबीज व अन्य कई दैत्यों को मारने के लिए मां ने चक्र का उपयोग किया था.

युद्ध भूमि में माता ने धनुष और बाण से दैत्यों की सेना का विनाश किया था.

हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है. नवरात्रि की अष्टमी पर दुर्गा अष्टमी व्रत व कन्या पूजन किया जाता है. वहीं नवमी तिथि को महानवमी पूजा और कन्या पूजन करने से माता का आशीर्वाद मिलता है. जानकारी के अनुसार इस साल नवरात्रि का आरंभ 26 सितंबर, दिन सोमवार से हो रहा है।

आपको बता दें कि मां आदिशक्ति के सभी स्वरूपों के पास अलग-अलग शस्त्र हैं. आज हम इन्हीं अस्त्र-शस्त्रों के बारे में जानकारी देंगे.
यहां आपको कई ऐसी बातें जानने को मिलेंगी जिन्हें दुर्गा सप्तशती में बताया गया है कि अलग-अलग देवताओं ने मां दुर्गा को शस्त्र दिए थे ताकि असुरों के खिलाफ होने वाले संग्राम में विजय प्राप्त की जा सके. आज हम जानेंगे की माता के हाथ में कौन-कौन से शस्त्र हैं और वे किन देवताओं द्वारा माता को दिए गए.

 

किस देवता ने माता दुर्गा को दिया कौन सा शस्त्र?

त्रिशूल

देवी ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण किया हुआ है. कहा जाता है कि भगवान शिव ने मां अंबा को त्रिशूल भेंट किया था.

शक्ति दिव्यास्त्र अस्त्र

अग्नि देव ने माता को प्रदान किया था. महिषासुर समेत अनेक दैत्यों के साथ जब युद्ध करने आया, तब मां ने इसी अस्त्र से सभी को खदेड़ा था.

चक्र
रक्तबीज व अन्य कई दैत्यों को मारने के लिए मां ने चक्र का उपयोग किया था. भक्तों की रक्षा के लिए मां दुर्गा को ये चक्र श्रीहरि विष्णु ने दिया था.

शंख

धरती, आकाश व पाताल, तीनों लोकों को अपनी ध्वनि से कंपायमान कर देने वाला शंख जब ऊंचे स्वर में युद्ध भूमि में गूंजता था, तब सभी दैत्य डर के मारे भाग खड़े होते थे. वे डर से कांपने लगते थे. वरुण देव ने मां जगदम्बा को शंख भेंट किया था.

धनुष और बाण

युद्ध भूमि में माता ने धनुष और बाण से दैत्यों की सेना का विनाश किया था. धनुष और बाणों से भरे तरकश पवन देव ने प्रदान किए थे.

घंटा
अनेक असुरों और दैत्यों को घंटे के नाद से बेहोश कर उनका विनाश करने वाली मां को ऐरावत हाथी के गले से उतार कर एक घंटा इंद्र देव ने भेंट किया था. साथ ही अपने वज्र से एक और वज्र उत्पन्न कर मां को प्रदान किया था.

तलवार और फरसा

चंड-मुंड का विनाश करने के लिए माता ने काली का विकराल रूप धारण किया था. इस युद्ध को तलवार और फरसे से लड़ा गया था, जिन्हें काल द्वारा प्रदान किया गया था. देवी ने कई असुरों की गर्दन तलवार से काट कर धड़ से अलग कर दी थी.

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