चित का विषयाकार होना ही बंधन है-त्रिदंडी स्वामी

चित का विषयाकार होना ही बंधन है-त्रिदंडी स्वामी
गाजीपुर जनपद के नोनहरा स्थित बडा पोखरा पर आयोजित चातुर्मास ब्रत के दौरान गंगा पुत्र त्रिदंडी महाराज ने कहा की भगवान कपिल माता देवहूति को उपदेश कर रहे है,महापुरूषों का संग जो है अमोघ है। आपने तो कर्दम जैसे महापुरुष का संग किया है। आपके कल्याण में तो कोई संदेह ही नही है।जिसको भगवान देख ले,या फिर जिसने भगवान को देख लिया, उसका चक्र तो छूट जाता है।
जिन चितए प्रभु जे प्रभु हेरे। और जिसके पेट में प्रभु रहे हो,गोद में खेले हो,उसके कल्याण में कोई संदेह है क्या।फिर अकल्याण तो उसका होता है जो भोगों में रहता है।आप तो निर्विणा नीतराम भुमन आप तो स्वाभाविक रूप से मुक्त है।
चित का विषयाकार होना ही बंधन है।
चित का भगवदा कार होना ही मुक्ति है।