हर्बल खेती और आयुष चिकित्सा को चौतरफा बढ़ावा देगी चार चरण की यह परियोजना

हर्बल खेती और आयुष चिकित्सा को चौतरफा बढ़ावा देगी चार चरण की यह परियोजना
गाजीपुर। आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की खेती को बढ़ावा देने, इनके संरक्षण, उत्पादों की बिक्री के साथ ही कृषकों को प्रशिक्षित करने और गंभीर रोगियों के इलाज के क्षेत्र में भी अब जनपद का नाम अग्रणी पंक्ति में आने वाला है। देश भर में चल रहे हिमांचल माडल आफ आयुर्वेद की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में करीब पांच करोड़ की पहली परियोजना जिले के भदौरा ब्लाक के अमौरा गांव में स्थापित होगा। इस परियोजना में चार चरण है, जो अलग- अलग तरीके से काम कर इसके सभी उद्देश्यों को पूरा करेंगी। इसमें एक सरकारी संस्था के साथ ही दो प्रतिष्ठित गैर सरकारी संस्थाए मिल कर काम करेंगी।
इसके लिए प्रोजक्ट बना कर सरकार को भेज दिया गया है और धन स्वीकृत होते ही निर्माण का कार्य शुरु हो जाएगा।इस परियोजना के तहत प्रथम चरण में आयुष पौध संरक्षण संग्रहालय एवं प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना किया जाना है। इसमें स्थानीय तथा आस पास के जिले के किसानों का आयुवेर्दिक जड़ी बूटियों की खेती के साथ उनके रख रखाव और लाभ के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। संग्रहालय में आयुर्वेद से जुड़े पौधों तथा जड़ी-बूटियों को रखा जाएगा और उनकी खेती के बारे में किसानों को प्रेरित किया जाएगा।
दूसरे चरण में हर्बल गार्डेन और प्रदेश स्तरीय नर्सरी की स्थापना होगी। यहां से किसान हर प्रकार की समयानुकूल आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को प्राप्त कर सकेंगे। तीसरे चरण में उत्पादित आयुष और क्रय केन्द्र की स्थापना का काम होगा। इसके तहत किसानों के उत्पाद को आसानी से तथा उचित मूल्य पर खरीद बिक्री की जाएगी जिससे उन्हें आर्थिक संबल मिलेगा। चौथे चरण के तहत लोक आयुर्वेद ग्रामीण शोधशाला की स्थापना होगी, जिसके तहत कई कार्य होंगे।
इसमें ग्रामीण औषधीय धाम की स्थापना प्रमुख है। यहां आयुर्वेदिक चिकित्सक रोगियों का इलाज करेंगे। मरीजों की सुविधा के लिए एक प्रयोगशाला भी होगा तथा हर्बल दवाओं के निर्माण के लिए अत्याधुनिक प्रोसेसिंग प्लांट भी होगा। यहां आने वाले गंभीर मरीजों के आयुर्वेदिक उपचार की सभी सुविधाओं को उपलब्ध कराया जाएगा। जरूरत पड़ने पर बाहर से भी आयुर्वेदाचार्य भी मरीजों की देखभाल के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। कुल मिलाकर यह परियोजना आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं खेती की संभावनाओं को हर स्तर पर बढ़ावा देने में सबसे बेहतर होगी। इस क्षेत्र के बिहार से सटे होने का सीधा फायदा बिहार प्रांत के भी करीब 20 जिलों तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश के लगभग 25 जिलों को मिलेगा।