गुरु में मानवी बुद्धि नही रखना चाहिए-गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी

गुरु में मानवी बुद्धि नही रखना चाहिए-गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी
गाजीपुर जनपद के नोनहरा बडा पोखरा पर आयोजित चातुर्मास ब्रत के दौरान गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी ने कहा की गुरु में मानवी बुद्धि नही रखना चाहिए, जो भगवान का रास्ता ,सन्मार्ग का रास्ता बताता है वो गुरु श्रेष्ठ है,गुरु आज्ञा गरीयसी जो भी आज्ञा हो उसमे विचार नही करना चाहिए,।
मात पिता गुरु प्रभु के बानी ।।
बिनही विचार करिए शुभ जानी।।
आपका शुभ होगा,गुरु भक्ति की कथा में धौम्य ऋषि के तीन शिष्य थे,आरूणी,उपमन्यु,वेद, गुरु जी ने आदेश किया बेटा आरूणी जी गुरुदेव बेटा बारिश हो रहा है जा कर खेत का मेड़ बांध दो,जो आज्ञा गुरुदेव,आरूणी खेत का मेड़ जब बांध ने लगा तो पानी बहने लगा,तो आरूणी स्वयं मेड़ बन गया, शाम को आरूणी नही आया तो गुरु जी शिष्यो के साथ खेत पर गए । बेटा आरूणी कहा हो तुम, कहा गुरु जी मैं यहां मेड़ बना हुआ.अरे बेटा जितना खेत में पानी की आवश्यकता है उतना तो भरा पड़ा है। निकल जाओ जो आज्ञा गुरुदेव। इस उद्दलन कर्म के कारण उदालक नाम से प्रसिद्ध होवोगे। गुरु जी आज्ञा पालन देख कर खुश हो गए आशीर्वाद दिया मस्तक पर हाथ रखा,
सर्वे च ते वेदा: प्रतिभास्यंती सर्वाणी च धर्मशास्त्राणति।।
जीवन भर पढ़ते कुछ नही होता गुरु आज्ञा पालन से आशीर्वाद से ही सारे ज्ञान प्रकट हो गए।