June 20, 2025

सावन

ई के आईल मन भावन हऽ
जियरा कऽ प्यास बुझावन हऽ
मरहम पट्टी हर घावन कऽ
हर हियरा कऽ सरसावन हऽ

झिंसफुस फुहार रिमझिम पानी
धरती धइलसि चूनर धानी
ई रानी हऽ कि राजन हऽ
केकर आवन बुझऽ जानी?

एगो कहलसि सखि राजन हऽ
दूजी कहलसि सुख साजन हऽ
तीजी चउथी पचवीं कर्रा–
सावन सावन बस सावन हऽ

बहकल कजरा सखि सावन हऽ
गमकल गजरा हँऽ सावन हऽ
लहकल अँचरा खनकल चूरी
जग तन मन भावन सावन हऽ

यह रचना जोगा मुसाहिब निवासी कृष्णायन के रचयिता आदरणीय रामबदन राय की है।

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