संगीत से तन मन दोनों प्रभावित होते हैं-आरजू अंचल

जीवन में संगीत का एक विशेष स्थान होता है। संगीत से तन मन दोनों प्रभावित होते हैं ।हर मौसम के अनुसार संगीत और धून राग बनाए गए हैं ।फागुन में फगुआ चैत माह में चैता वैसे ही सावन में कजरी का अपना विशेष योगदान होता है। सुर संगीत के माध्यम से संगीत के क्षेत्र में अपनी आवाज से विशेष स्थान तथा अपनी अच्छी पहचान बना चुके गाजीपुर जिले के मुहम्मदाबाद क्षेत्र से हाटा गांव के रहने वाले आरजू अंचल ने सावन में अपने अनेक गीतों से अच्छी पहचान बनाई है।उन्होंने कैसे खेले जइबू सावन में कजरिया बदरिया घेरी आवे ननदी तथा पिया मेहंदी लिया द मोती झील से जाके साइकिल से ना तथा भक्ति कजरी अरे अम्मा धनुष मंगा द अस्सी मन क शिकार खेले जाइब ए हरि गाया तथा कुछ मिर्जापुरी कुछ बनारसी कजरी सुनाया आरजू अंचल की आवाज काफी अच्छी है ।इनके गीतो को को विशेष रूप से सुना एवं पसंद किया जाता है। इन्होंने अपनी गायन प्रतिभा के बल पर कई जिले तथा दूसरे राज्य से अवार्ड तथा सम्मान प्राप्त किया है। संगीत के क्षेत्र में इनके काफी गीत चर्चित हुए हैं। इन्होंने समाज में अच्छे गीतों के गायन से अपना एक अलग स्थान बनाते हुवे अपना छाप छोड़ा है।अभी हाल ही में एक गीत जो बेटियों पर हो रहे अत्याचार को देखते हुए उन्होंने गाया मम्मी हो मम्मी जो काफी चर्चित रहा।आरजू अंचल के कुछ चर्चित गीत.
बन में बाजी है बांसुरिया टूट गए शिव शंकर के ध्यान.
अरे अम्मा धनुष मंगा द अस्सी मन क शिकार खेलें जाईब हरी.
सावन में कजरी के रूप में पिया मेहंदी लियाद मोती झील से, जाके साइकिल से ना.
शिव भजन के रूप में आरजू अंचल का प्रमुख चर्चित भजन
शिव गुरु के महिमा भारी जानता सब नर नारी.
को लाखों लोगों ने सुनकर आरजू अंचल को अपना आशीर्वाद दिया है।
देवघर जइबी का रे पगली,
बीतल जाए उमर बनल आपना ना घर नाथ आवे रोवाई सजा हो गईल.