April 28, 2025

जिस घर में शराब का सेवन, जुआ, सदाचारी व्यक्ति का अनादर हो वह घर श्मशान के समान – जीयर स्वामी

बलिया जनपद के जनेश्वर मिश्रा सेतु के एप्रोच मार्ग के पास आयोजित चातुर्मास ब्रत के दौरान श्री लक्ष्मी प्रपन्न पूज्य श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा की गंगा स्नान का मतलब अनीति, अन्याय, बेईमानी, अधर्म,पाप के त्याग से है।
शास्त्र में बताया गया है कि जहां पर इस घर में, इस समाज में, इस राष्ट्र में, जिस प्रजा में, जिस समुदाय में ईश्वर ब्रम्ह को कभी याद न किया जाता हो, कभी चिंतन न किया जाता हो, नितध्यासन न किया जाता हो, गुण गान न किया जाता हो वह घर श्मशान के समान बताया गया है। जहां पर सदाचारी,संत महात्मा, ज्ञानी स्त्रियों का आदर नही हो, बालकों को शिक्षा न दिया जाता हो वह घर श्मशान के समान बताया गया है। जहां पर जुआ खेला जाता है, शराब का व्यसन है, अनेक प्रकार खान पान उपद्रव कारी है मांस इत्यादि का सेवन होता हो वह भी घर श्मशान के समान बताया गया है।

मानव पशुओं के समान भोजन, संतानोत्पत्ति करे तो मानव पशु में कोई अंतर नही।

भोजन तो अनेक योनियों में हम करते हैं शयन तो हम अनेक योनियों में करते हैं। संतान उत्पति तो अनेक योनियों में करते हैं। केवल इसके लिए इस संसार में हम जन्म नही लिए हैं। यदि इन सबके लिए इस संसार में हम आए होते तो परमात्मा हमलोगों को मनुष्य नही बनाते बल्कि इसके जगह पर और कोई जन्तु बनाते। मानव की पहचान संस्कृति है, संस्कार है। सभ्यता है, सरलता है, सहजता है, कोमलता है। यदि यह मनुष्य में न हो केवल संसार में पशुओं के समान भोजन करे, संतानोत्पत्ति करे मनुष्य और पशु में कोई अंतर नही है।

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