June 25, 2025

जल्द ही बनेगी स्तन कैंसर की दवा , एस्ट्राजेनेका इंडिया को मिली भारत में स्तन कैंसरकी दवा बनाने की इजाजत

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जल्द ही बनेगी स्तन कैंसर की दवा , एस्ट्राजेनेका इंडिया को मिली भारत में स्तन कैंसरकी दवा बनाने की इजाजत

शुरुआती स्तर के स्तन कैंसर के इलाज के लिए डीसीजीआई की मंजूरी के साथ लिनपरजा को अब अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान, भारत और कई अन्य देशों में मंजूरी मिल गई है.

स्तन कैंसर (Breast Cancer) महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या है. इसका पता देर से चलने की वजह से देश में मौत की दर बढ़ रही है. वहीं, अब स्तन कैंसर का का समय से इलाज हो सकता है. साथ ही दवा आसानी से मिल सकता है. क्योंकि दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका इंडिया (AstraZeneca India) ने शुक्रवार (18 अगस्त) को कहा , भारत के औषधि महानियंत्रक से स्तन कैंसर के इलाज (Treatment) के लिए अपनी दवा के मार्केटिंग के लिए मंजूरी मिल गई है. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने शुरूआती स्तन कैंसर वाले वयस्क मरीजों के इलाज के लिए एक मोनोथेरेपी के रूप में लिंगपरज़ा (ओलापारीब) को मंजूरी दी है, जिनका पहले नियोएडजुवेंट या एडजुवेंट कीमोथेरेपी के साथ इलाज किया जा चुका है.

एस्ट्राजेनेका इंडिया ने एक बयान में कहा, ये मंजूरी ओलंपिया चरण परीक्षण के परिणामों पर आधारित थी, जिसके सुझाव पर ओलापारीब ने कुल आंकड़ों में महत्वपूर्ण सुधार किया. शुरुआती स्तर के स्तन कैंसर के इलाज के लिए डीसीजीआई की मंजूरी के साथ लिनपरजा को अब अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान, भारत और कई अन्य देशों में मंजूरी मिल गई है.

स्तन कैंसर जीन का इलाज वाली पहली दवा


दरअसल, मौजूदा वक्त में शुरुआती स्तर के स्तन कैंसर में बीआरसीए (स्तन कैंसर जीन) का इलाज करने वाली पहली और एकमात्र मंजूर की गई दवा है. एस्ट्राजेनेका इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर गगनदीप सिंह ने कहा, ‘लिनपरजा की नियामक मंजूरी… भारत में कैंसर के इलाज के लिए समग्र समाधान प्रदान करने के लिए प्रोटोकॉल और ​​अनुसंधान में हमारी बढ़ती क्षमताओं को मजबूत करती है.’

स्तर कैंसर के बढ़ रहे मरीज


गगनदीप सिंह ने कहा, दुनिया भर में सबसे अधिक स्तन कैंसर (Breast Cancer) के निदान किए जाने वाले कैंसर (Cancer) में से एक है, जिसमें हर साल अनुमानित 23 लाख मरीजों को ठीक (Treatment) किया जाता है. भारत में कैंसर जैसे गैर-संचारी रोग (NCD) आज सभी मौतों में से 62 प्रतिशत और समय से पहले होने वाली मौतों का 48 प्रतिशत हिस्सा हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारा ऑन्कोलॉजी पोर्टफोलियो पिछले 3 सालों में लगातार 40 से 50 प्रतिशत की सीमा में बढ़ रहा है’.

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