कृष्ण भक्तों के लिए डा० राम बदन राय ने लिख दिया कृष्णायन ग्रंथ

कृष्ण भक्तों के लिए डा० राम बदन राय ने लिख दिया कृष्णायन ग्रंथ
भगवान श्रीराम के जन्म के समय सभी भक्तों के मुँह से तुलसी दास रचित राम चरित मानस की पंक्तिया भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी बरबस ही निकल जाता है लेकिन कृष्ण जन्मोत्सव के समय भक्त श्रीकृष्ण के बारे में भक्तों को सोचना पड़ता है।लेकिन एक ऐसी रचना है जिसमे कृष्ण जन्मोत्सव से लेकर उनके पूरे चरित्र के बारे में दर्शाया गया है जिसे रामचरित मानस की तरह गाया जा सकता है।उस ग्रंथ की पंक्तिया प्रगटे नंदलाला जगत भुवाला दीनबंधु हितकारी।लखि देवकी माता पुलकित गाता बसुदेवहि सुखकारी।।जगह जगह कृष्ण जन्मोत्सव के समय सुना जा सकता है।यह पंक्ति आधुनिक तुलसीदास की संज्ञा से विभूषित प्रख्यात साहित्यकार डॉ रामबदन राय की रचना कृष्णायन की है जो हिन्दू धर्म ग्रंथ के लिए एक अमर कृति है।
तुलसीदास ने प्रभु श्रीराम के चरित्र को पराकाष्ठा पर उठाया तो 16 कला से युक्त भगवान श्रीकृष्ण के चरित्र पर ग्रंथ लिखकर कृष्ण की भक्ति करने वाले श्रद्धालुओं को संकीर्तन का नायाब उपहार दिया । इस ग्रंथ को अभी उतनी प्रसिद्धि नही मिल पायी है जिसका हकदार है।आज यह क्षेत्र में रामचरित्र मानस की तरह गाया जाता है।
धनाभाव के कारण इसकी अधिक प्रतियां नही निकल पायी है और इस महान रचना को सरकार की तरफ से कोई तवज्जो नही दी गयी
।इसकी प्रेरणा कहाँ से मिली इसपर उन्होंने कहा कि एक बार वे कृष्ण जन्मोत्सव में गए थे वहाँ पर रामचंद्र के जन्मोत्सव का नौमी तिथि मधुमास पुनीता का गया जा रहा था ।जब उन्होंने पूछा तो सभी ने कहा कि कृष्ण से संबंधित कोई ऐसा ग्रंथ नही है जिसका मानस पाठ किया जा सके अगर आप मे यह क्षमता है तो ऐसा एक ग्रंथ लिखिए।तभी उन्होंने यह निर्णय लिया कि वो एक ऐसे ग्रंथ की रचना करेंगे जो रामचरित्र मानस की तरह गेय होगा।जिसका मानस पाठ किया जा सके।
कई वर्षों की मेहनत के फलस्वरूप 2001 में 374 पेज का यह ग्रंथ तैयार हुआ।
कृष्णायन में रामचरित्र मानस की तरह सात सोपान है और जगह जगह विश्राम में है।प्रथम सोपान गोकुलोत्सव द्वितीय शिशुलीला तृतीय बालचरित चतुर्थ मथुरा खंड पंचम द्वारका खंड खष्टम सुदर्शन खंड और सप्तम सार खंड है।इसकी रचना में दोहा सोरठा चौपाई रोला आदि का अद्भुत प्रयोग किया है इसके अतिरिक्त भक्ति श्रृंगार के संयोग और वियोग पक्ष का सुंदर ढंग से प्रयोग हुआ है।इसके अतिरिक्त अन्य सभी रसो का अद्भुत प्रयोग है।
कृष्णायन की शुरुआत संस्कृत के श्लोक के साथ हुई है ।कृष्नायन की रचना में श्रीमद्भागवत को आधार बनाया गया है इसके अतिरिक्त सूरसागर सुखसागर ब्रजविलास जायसी रसखान से भी प्रेरणा ली गयी है।उन्होंने बताया कि जब ग्रंथ तैयार हुआ तब सबसे बड़ी समस्या इसके प्रकाशन की थी।गीता प्रेस के यहां जाने के बाद जब वहां निराशा लगी तो विश्वविद्यालय प्रकाशन द्वारा इसे प्रकाशित किया गया।
रामबदन राय ने बताया कि इस रचना के बाद कृष्ण जन्माष्टमी को ही उन्हें एक पुत्र और पुत्री जुडवा संतान का सुख मिला। इसके अलावा उनकी 12 रचनाए प्रकाशित हो चुकी है जिसमे गवई गुहार फिरकी कुछ शरीफ कुछ शरारती कहानी संग्रह परांतह द्वार खड़ा अभिसार फगुनभर हमसे न बोली है लेकिन सबसे अधिक सुख कृष्नायन की रचना से हुआ।इसके अतिरिक्त शिवायन की भी रचना मशहूर है जिसमे शिवजी की स्तुति की गयी है।