कैसे हमारे अंदर कल्याण की भावना आवे-त्रिदंडी महाराज

कैसे हमारे अंदर कल्याण की भावना आवे-त्रिदंडी महाराज
त्रिदंडी स्वामी के उपस्थिति में निकाली गयी तिरंगा यात्रा
गाजीपुर जनपद के नोनहरा बडा पोखरा के पास आयोजित चातुर्मास ब्रत के दौरान गंगा पुत्र त्रिदंडी जी महाराज ने उपस्थित श्रोताओं से कहा की
कल्याण के व्यवहार की भावना हमारे अंदर आवे कैसे, निरपेक्षम मुनि शांतम निरवैराम समदर्सनम।
निरपेक्ष होना चाहिए किसी से किसी कामना की अपेक्षा मत रखिए। तब परमार्थ का काम करना चाहिए। यही मानव के कल्याण होने का मार्ग है। किसी से अपेक्षा मत रखिए।
किसी से कामना मत रखिए।माता पिता का काम है,अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना,लेकिन उसपर विश्वास न करे एक दिन बड़ा आदमी होगा तो सेवा करेगा। अगर नही किया तो हार्ट अटैक हो जायेगा। आसा ही परमं दुखम।
मुनि सांतम दूसरा बताया गया,मुनि होना चाहिए,मनन करने वाले को मुनी कहा जाता है।वर्तमान ,भूत,भविष्य,तीनो पर जो मनन करता है।उसको मुनि कहते है।जो भगवान को भजने वाले,चिंतन करने वाले है ,उनको मुनि कहते है।
शांतम दूसरे के पद प्रतिष्ठा को देख कर द्वेष मत करिए। ऐसा करने वाला व्यक्ति हमेशा कल्याण को प्राप्त होता है। निरवैराम किसी से बैर मत रखिए।
समदर्सनम सम दर्सी होना चाहिए। सबमें परमात्मा का दर्शन करना चाहिए।त्रिदंडी स्वामी के उपस्थिति में बहुत ही भव्य तरीके से आजादी का अमृत महोत्सव के तहत तिरंगा यात्रा का भी आयोजन किया गया।त्रिदंडी स्वामी जी महाराज ने पोखरे की रंगाई कराकर उसे अद्भुत स्वरूप प्रदान करा दिया है।स्वामी जी ने उपस्थित लोगों से भी आजादी के 75 वे वर्षगांठ को हर्षोल्लास से मनाने के लिए कहा।साथ ही उन्होंने सभी से अपने अपने घरों पर तिरंगा फहराने के लिए कहा।रंगाई के बाद यह पोखरा सेल्फी प्वाइंट हो गया है।