सत्संग और कथा दशा नहीं दिशा बदलती है ।दशा इसलिए बिगड़ी है कि दिशा गलत है-अनंतानंद सरस्वती

सत्संग और कथा दशा नहीं दिशा बदलती है ।दशा इसलिए बिगड़ी है कि दिशा गलत है-अनंतानंद सरस्वती
गाजीपुर जनपद के भांवरकोल ब्लॉक मुख्यालय स्थित सरहमाडीह के किनवार कीर्ति स्तंभ पर चल रहे सात दिवसीय महायज्ञ के तीसरे दिन पीठाधीश्वर राजगुरु मठ दंडी स्वामी अनंतानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि यज्ञ भगवान के परिक्रमा करने से शारीरिक कष्टों एवं दैविक प्रकोप तथा प्रसाद पाने से भौतिक कष्ट कम होता है। अध्यात्म आत्मा को पुष्ट तुष्ट और संतुष्ट करता है। भगवान के नाम उच्चारण से वाणी, दान से धन ,सत्संग से मन का शुद्धिकरण होता है ।
यदि दिशा सही हो जाए तो दशा एक न एक दिन अवश्य सुधर जाती है। जहां काम क्रोध और लोभ का बसेरा हो उसी का नाम कोप भवन है। उन्होंने बताया शिवपुराण में इस मंत्र के जप से मनुष्य की सभी बाधाएं और परेशानियां खत्म हो जाती है। महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से मांगलिक दोष, नाडी़ दोष, कालसर्प दोष ,भूत -प्रेत दोष, रोग दु:,स्वप्न, गर्भनाश, संतानबाधा कई दोषों का नाश होता है।
इस मौके पर कथा वाचक नरेन्द्र भार्गव ने विदुर की चर्चा करते हुए कहा कि महाभारत युद्ध के बाद मन खिन्न होने से विदुर जी तीर्थ यात्रा पर निकले। उनकी मुलाकात मैत्रेय ऋषि से हुई उन्होंने पूछा कि संसार में कर्म अपने सुख के लिए करते हैं ऐसे में मुक्ति कैसे होगा। इस पर मैत्रेय ऋषि ने कहा कि हे विदुर भगवान का भजन जब होगा और ज्ञान रूपी जल से अज्ञान का शोधन होगा तथा ज्ञान का उदय होगा तभी जीव का उद्धार होगा ।उन्होंने कहा कि जब तक जीव इस तत्व को प्राप्त नहीं करेगा तब तक उसे मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती। उन्होंने महामृत्युंजय जप की महिमा का बखान करते हुए कहा कि महामृत्युंजय भगवान शिव के ही अवतार हैं। जब जीव को भगवान की असीम कृपा मिलेगी निश्चित ही उसे मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। इस मौके पर मुख्य यजमान इंजीनियर अरविन्द राय, संतोष राय, बिजेंदर राय, बीरेंद्र राय, संजय राय, बिनोद राय, देवेंद्र राय, कमलेश शर्मा, मुक्तिनाथ राय रामभुवन राय, नागा दुबे , छांगुर राय, संजय पांडेय, रामकृपाल राय,उमेश यादव आदि लोग मौजूद रहे।