धरती को बचाने के लिए जलयोग की ज़रूरत “

 

” धरती को बचाने के लिए जलयोग की ज़रूरत ”

” विश्वस्वास्थ्य और जल संरक्षण की कामना से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के कार्यकारी निदेशक तकनीकी डी पी मथुरिया ने नमामि गंगे टीम के साथ किया जल योग ”

” किया आवाह्न , स्वच्छता को बनाएं धर्म ”

जल के लिये जनाधार का उपयोग करके जल योग करने की जरूरत है। जल योग सबसे बड़ा योग होने वाला है। यदि जल नहीं होगा तो न योग होगा। न ध्यान होगा और न ही कोई क्रिया होगी । इसलिये जल को सुरक्षित और संरक्षित रखना नितांत आवश्यक है । आने वाले समय में जो समस्यायें बढ़ती जा रही है, उसके लिये जल की शक्ति को बढ़ाने की जरूरत है । नदी जल संरक्षण, वाटर रिचार्ज, ग्राउंड रिचार्ज, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, जल का संतुलित उपयोग कर हमें जल बचाने का संकल्‍प लेना चाहिए । जागरूकता भरी यह बातें नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने विश्व योग दिवस के पूर्व गंगा जल में जल योग करने के पश्चात कहीं । राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के कार्यकारी निदेशक तकनीकी डी पी मथुरिया जी के मार्गदर्शन में दशाश्वमेध घाट के सामने गंगाजल में ही पद्मासन, वज्रासन, गरुणासन, हस्तपाद आसन, सूर्य नमस्कार जैसे तमाम योग क्रियाओं का प्रदर्शन कर जल संरक्षण व विश्वकल्याण की कामना की।


इस दौरान नमामि गंगे के सदस्य गंगा के पानी में उतरे और पानी में ही योग किया। एक तरफ इनका मकसद गंगा की स्वच्छ्ता था, तो दूसरी तरफ विश्व योग दिवस पर जल संरक्षण हेतु योग साधना । नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम लोग स्वच्छता को धर्म बनाये । स्वच्छता को अपना संस्कार बनाये। इन संस्‍कारों के जरिए हम स्वयं को पर्यावरण से जोड़े सकते हैं। कहा कि योग जीवन पद्धति ही सच्ची साधना है। योगमय जीवन पद्धति ने समूचे विश्व को एक परिवार की तरह जोड़ कर रखा है। उन्‍होंने कहा कि भारत और भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति है । भारत की संस्कृति उदार संस्कृति है। सेवा, साधना और समसरता की संस्कृति है‌। इसका आत्मसात करना ही श्रेष्ठ जीवन है । प्रमुख रूप से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के कार्यकारी निदेशक तकनीकी डी पी मथुरिया, काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला, पुष्पलता वर्मा, बीना गुप्ता, सोनू जी, नगीना पांडेय, कीर्तन बरनवाल, प्रियंवदा गुप्ता सुषमा जायसवाल, सरस्वती मिश्रा, नमिता सिंह आदि उपस्थित रहे ।

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