क्यों मनाया जाता है विश्व पर्यावरण दिवस, क्या है इस बार की थीम?
साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से वैश्विक स्तर पर बढ़ रही पर्यावरण प्रदूषण की समस्या के चलते विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की नींव रखी गई थी.
पृथ्वी इंसान को दी हुई ईश्वर की सबसे बड़ी देन है लेकिन इंसान का स्वभाव ही ऐसा है कि उसे चीजों की कदर तभी होती है जब वो उसे खो देता है. यही वजह है आज इंसान की गलतियों का खामियाजा पृथ्वी को भुगतना पड़ रहा है. विकास और आधुनिकता की दौड़ में हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं और इस तरह हम प्रकृति से दूर जा रहे हैं. कभी बाढ़ आ जाती है, कहीं धरती में पानी सूख रहा है तो कहीं की जमीन आग उगल रही है. कहीं न कहीं इन सबका कारण इंसान ही है. पेड़ों के कटने की संख्या बढ़ती जा रही है. हरे-भरे खेत खाली मैदानों में बदल दिए गए हैं. नतीजा, हवा इतनी दूषित हो गई है कि शहरों में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है और ये सब आज से नहीं सालों से चला आ रहा है.
विश्व पर्यावरण दिवस की शुरूआत
साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से वैश्विक स्तर पर बढ़ रही पर्यावरण प्रदूषण की समस्या के चलते विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की नींव रखी गई. इसकी शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई. यहां दुनिया का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें 119 देश शामिल हुए थे. भारत की ओर से इस सम्मेलन में इंदिरा गांधी ने नेतृत्व किया था. इसी सम्मेलन में UNEP का गठन भी हुआ और तभी से प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का निर्णय लिया गया. इस दौरान इंदिरा गांधी ने बिगड़ती पर्यावरण की दशा और भविष्य में होने वाले उसके प्रभाव पर व्याख्यान भी दिया था.
विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का उद्देश्य बढ़ते प्रदूषण और प्रकृति को हो रहे नुकसान को लेकर जागरूकता अभियान चलाने के लिए पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. इस दिन लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाता है. इसके लिए हर साल एक खास थीम भी रखी जाती है.
क्या है इस साल की थीम? विश्व पर्यावरण दिवस 2022 की थीम है ‘प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना’ पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.