प्रकृति प्रेमी फादर पी विक्टर ने लगाया वट का पौधा

प्रकृति प्रेमी फादर पी विक्टर ने लगाया वट का पौधा
हमारे पर्व त्योहार पर्यावरण को ध्यान में रखकर ही बनाए गए हैं – फादर पी विक्टर
वट सावित्री व्रत के अवसर पर सेंटजॉन्स स्कूल,सिद्दीकपुर,जौनपुर के प्रधानाचार्य फादर पी विक्टर ने विद्यालय प्रांगण में वट एवं पीपल का पौधा लगाया।प्रकृति प्रेमी फादर हर तीज त्योहारों पर वृक्षारोपण किया करते हैं।फादर का कहना है कि हमारे तीज त्योहार प्राकृतिक संतुलन एवं पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं।हमारे ऋषिमुनियों ने पर्यावरण की महत्ता को पहचाना और तीज त्योहारों को वृक्षों,नदियों,जलाशयों,पहाड़ों,पर्वतों एवं जीवजन्तुओं से जोड़ दिया ताकि उनका संरक्षण हो सके।नीम,पीपल,आम,तुलसी आदि वृक्षों में देवताओं का वास माना,नदियों एवं जलाशयों में दैवीय शक्ति का वास माना,जीव-जंतुओं को विविध देवी देवताओं से जोड़ा ताकि उनका संरक्षण हो सके।वास्तव में भारतीय संस्कृति एवं आराधना पद्धति पर्यावरण संरक्षण का ही पर्याय है।वट सावित्री व्रत भी मनीषियों के दूरदृष्टि का परिणाम है।ऐसी मान्यता है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान को इस दिन ही यमराज के यमपाश से मुक्त करा दिया था,इसलिए अपने पति की दीर्घायुष्य के लिए सुहागन स्त्रियाँ वट सावित्री की पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं।वट वृक्ष की पूजा जीवन का प्रतीक है ; क्योंकि वट वृक्ष से बहुत अधिक ऑक्सीजन प्राप्त होता है जो जीवन के लिए आवश्यक है।सुहागनें इस दिन उपवास करती हैं और वट वृक्ष को जल अर्पित करती हैं तथा कच्चे धागे को वटवृक्ष के तने में लपेटी हैं।जल देना और कच्चे धागे को तने में लपेटना वृक्ष के संरक्षण का ही प्रतीक है।त्योहारों के मूल उद्देश्य को पहचानकर त्योहार मनाए जाने चाहिए।फादर ने इस व्रत के अवसर पर सुहागिनों को शुभकामना प्रेषित किया और कहा कि जीवन रक्षा के इस व्रत को करते हुए जीवनदायक वृक्षों को संरक्षित करने के लिए माताओं एवं बहनों को विशेष ध्यान देना चाहिए।माताएँ शिशु की प्रथम शिक्षिका होती हैं,उनके द्वारा वृक्ष संरक्षण का संस्कार धरती को स्वर्ग बना सकता है।
इस अवसर पर विद्यालय के वरिष्ठ प्रवक्ता प्रेमशंकर यादव एवं अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।